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ये मैन मेड डिजास्टर है…राजकोट गेम जोन अग्निकांड पर गुजरात हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

गुजरात हाईकाेर्ट ने राजकोट गेम जोन हादसे पर लिया संज्ञान

अहमदाबाद: गुजरात के राजकोट में भीषण अग्निकांड की घटना पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने टीआरपी गेम जोन में नौ बच्चों समेत 33 की मौत को मानव निर्मित त्रासदी कहा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार समेत प्रदेश के चार बड़े महानगरों के निगम को तलब किया है। हाईकोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव और देवेन देसाई की बेंच ने कहा कि पीठ 27 मई यानी कल इस मामले की विस्तृत सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा कि ऐसे गेम जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं। राजकोट गेम जोन हादसे में सामने आया है कि वहां पर कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा था, बेल्डिंग की जा रही थी। इस बीच भी गेम जोन में लोगों को एंट्री दी गई।

हाईकोर्ट का कड़ा रुख
गुजरात हाई कोर्ट में विशेष न्यायाधीश बीरेन वैष्णव और देवेन देसाई की पीठ बैठी और तत्काल सुनवाई की गई। हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रिजेश त्रिवेदी और अधिवक्ता अमित पांचाल ने दलीलें दीं। वकील ने कोर्ट को बताया कि आग की घटना में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। फायर सेफ्टी के लिए पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश दिए हैं। फिर भी ऐसी त्रासदियां होती रहती हैं। वकीलों ने कोर्ट को बताया कि टीआरपी गेमिंग जोन के पास फायर सेफ्टी की एनओसी नहीं थी। इस मामले में अधिकारियों ने भी लापरवाही बरती है। इसके बाद पीठ ने सख्त टिप्पणी करते पूछा कि सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बने गेम जोन को किसने स्वीकृति दी थी?

निगमों से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट समेत अन्य नगर निगमों और राज्य सरकार को गेम जोन नियम और फायर नियमों का एक दिन के भीतर खुलासा करने का निर्देश दिया है। गुजरात उच्च न्यायालय ने अहमदाबाद शहर में सिंधुभवन, एसपी रिंग रोड और एसजी हाईवे पर गेम जोन को भी खतरनाक बताया है। कैसे बनता है ये गेम जोन? इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है? पीठ की कड़ी टिप्पणी के बाद अब हाईकोर्ट में 27 मई को आगे की सुनवाई होगी। इसमें निगमों की तरफ से बताया जाएगा उनके अधिकार क्षेत्र में किन शर्तों के साथ गेम जोन का संचालन हो रहा है।

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