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अब डायबिटीज को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं, इलाज ढूंढ रहे वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसे दुर्लभ जीन वेरिएंट की पहचान की है जो भारतीयों में टाइप-2 डायबिटीज के प्रसार का एक प्रमुख कारण हो सकता है। यह खोज इस जटिल आनुवंशिक बीमारी के उपचार के नए रास्ते खोल सकती है। टाइप-2 डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। ये डायबिटीज का सबसे सामान्य रूप है, जिसमें शरीर या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है या इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। इस वजह से ब्लड शुगर का स्तर अक्सर बढ़ हुआ रहता है। हाल के वर्षों में मेडिकल क्षेत्र में नवाचार और प्रभावी दवाओं के चलते डायबिटीज का इलाज आसान हुआ है। हालांकि हर साल इसके बढ़ते मामले अब भी स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डायबिटीज लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारी तो ही है, इसका जोखिम आनुवांशिक भी होता है। यानी कि जिन लोगों के माता-पिता में से किसी को ये बीमारी रही है उन्हें भी डायबिटीज की दिक्कत हो सकती है।

इसी संबंध में भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसे दुर्लभ जीन वेरिएंट की पहचान की है जो भारतीयों में टाइप-2 डायबिटीज के प्रसार का एक प्रमुख कारण हो सकता है। यह खोज इस जटिल आनुवंशिक बीमारी के उपचार के नए रास्ते खोल सकती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि हम कई भारतीय पीढ़ियों का अध्ययन करना चाहते थे, ताकि परिवारों में आनुवंशिक कारकों की भूमिका को बेहतर ढंग से समझा जा सके। भारतीयों में टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका यूरोपीय लोगों की तुलना में छह गुना अधिक  है।

अध्ययन से पता चला कि भारतीय समुदायों में एक ही जाति व्यवस्था में विवाह और जीवनशैली के कारण इन दुर्लभ जीन वेरिएंट्स को पहचानने में सहायता मिली। प्रतिभागियों में मिले दुर्लभ जीन परिवर्तन अन्य वैश्विक आबादी में नहीं देखे गए हैं। इससे मधुमेह के कारणों को बेहतर समझने और नई दवाओं के विकास में मदद मिल सकती है।शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ दुर्लभ जीन वेरिएंट ऐसे थे जो प्रोटीन बनाने के बजाय यह नियंत्रित करते हैं कि कौन सा प्रोटीन कब और कहां बनेगा। यह खोज महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह डायबिटीज से जुड़ी जटिल आनुवंशिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करती है। वैज्ञानिकों ने लाखों लोगों का अध्ययन करके इन जीनों को पाया है। इन परिवारों में मधुमेह की कई पीढ़ियां हैं।टाइप-2 डायबिटीज के लगभग 50 फीसदी मामले आनुवंशिक कारणों से होते हैं, जबकि बाकी 50 फीसदी खराब आहार और शारीरिक निष्क्रियता जैसी जीवनशैली की वजह से होते हैं। जीन मधुमेह को तीन प्रमुख तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, हर मरीज पर मधुमेह की सामान्य दवाएं जैसे मेटफॉर्मिन समान रूप से प्रभावी नहीं होतीं। इसलिए आनुवंशिकी के आधार पर उपचार ढूंढना जरूरी है। डायबिटीज को मुख्यरूप से जीवनशैली से जुड़ी बीमारी माना जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि देश में 50% लोगों को अपने ब्लड शुगर लेवल की जानकारी नहीं होती है। डब्लूएचओ के अनुसार देश में 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित हैं। ऐसे में चाहे आपको डायबिटीज है या नहीं, जीवनशैली से जुड़ी ये बातें पता होनी चाहिए।

अगर कोई व्यक्ति मोटापे से ग्रसित है, तो 7-10% वजन कम करके, सही डाइट अपनाकर और हफ्ते में 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि (जैसे तेज चलना, साइक्लिंग, योग आदि) करने से डायबिटीज को बढ़ने से रोक सकता है। नियमित रूप से HbA1c और ग्लूकोज लेवल की जांच करना भी जरूरी है ताकि डायबिटीज पर नजर रखी जा सके।

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