खबरमध्य प्रदेश

एमपी सरकार ने 1981 से लागू नियम किया खत्म, मुखबिरों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी,

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने मुखबिरों को लेकर एक बड़ा बदलाव किया है। एमपी में अब डाकुओं की खबर देने वालों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। 1981 में बने इस नियम को मोहन यादव सरकार ने खत्म कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बारे में आदेश जारी कर दिए हैं। पहले कुख्यात डाकुओं की जानकारी देने वाले मुखबिर को सरकारी नौकरी मिलती थी। यह फैसला अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए लिया गया था। इसे अब खत्म कर दिया गया है।इस नियम में अपडेट को लेकर सभी विभागों के अधिकारियों और कमिश्नर को निर्देश दे दिए गए हैं।

बता दें, कि ग्वालियर चंबल अंचल में डाकुओं का काफी दबदबा रहा है। पर विपरीत हालातों में भी मुखबिर पुलिस का साथ नहीं छोड़ते थे, उनकी मिली जानकारी से पुलिस ने कई गुंडे बदमाशों को पकड़ा है। लंबे समय से डकैतों को पकड़ने में मुखबिर महत्वपूर्ण भूमिका में रहते थे। ये बिना किसी की जानकारी के पग पग पुलिस का साथ दिया करते थे। मुखबिर अपनी जान जोखिम में डालकर कुख्यात अपराधियों के भेद पुलिस तक पहुंचाने का काम भी किया करते थे।

निर्णय के पीछे की वजह
मुखबिरों को सरकारी नौकरी देने का नियम 1981 में बनाया गया था। उस समय प्रदेश में डकैतों का आतंक हुआ करता था। इसके पीछे का मकसद डकैतों की सूचना पाना और उन्हें पकड़ना था। इसके लिए सरकार मुखबिरों को सरकारी नौकरी देकर उनका सहयोग लेती थी। हालांकि, समय के साथ डकैतों की गतिविधियों में काफी कमी आई है। इसके मद्देनजर सरकार ने यह फैसला लिया है। सरकार का मानना है कि अब इस नियम की कोई जरूरत नहीं है। इससे सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ता है। इसके अलावा नए नियम से पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button