अध्यात्म

कब मनाया जाएगा गुरु प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त, तिथि एवं योग

दोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। गुरु प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजयश्री प्राप्त होती है। विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करते हैं। आइए, गुरु प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 19 जुलाई को संध्याकाल 07 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन प्रदोष काल संध्याकाल 08 बजकर 44 मिनट से लेकर 09 बजकर 22 मिनट तक है। आसान शब्दों में कहें तो कुल 38 मिनट का प्रदोष काल है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इसके लिए गुरुवार 18 जुलाई को गुरु प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

गुरु प्रदोष व्रत महत्व

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा का गुणगान विस्तार पूर्वक किया गया है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते यह गुरु प्रदोष व्रत कहलायेगा। गुरु प्रदोष व्रत करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही शुत्रओं का नाश होता है। विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि एवं अखंड़ सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गुरु प्रदोष व्रत रखती हैं।

गुरु प्रदोष व्रत योग

ज्योतिषियों की मानें तो गुरु प्रदोष व्रत पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन रवि योग और शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाएंगे।

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