मध्य प्रदेश

कांग्रेस के सभी सम्मानित सिपाहियों के सार्थक योगदान के लिए साधुवाद

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कांग्रेसजनों के नाम लिखा पत्र

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने मप्र में चार चरणों के लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही प्रदेश के सभी सम्मानित कांग्रेस के सिपाहियों के चुनाव में योगदान के लिए पत्र लिख साधुवाद दिया है।
श्री पटवारी ने अपने पत्र में लिखा है कि गांव-देहात से लेकर बड़े शहरों के कार्यकर्ता के रूप में, विचारधारा से संबद्ध अलग-अलग संगठनों के पदाधिकारी के रूप में चुनाव प्रचार में लगे जुझारू लड़ाके के रूप में या फिर बूथ-बूथ पर जिम्मेदारी से संघर्षरत निष्ठावान प्रतिनिधि के रूप में एक-एक भूमिका में है, जवाबदेहीं से जुटे एक-एक व्यक्ति का, मैं व्यक्तिगतरूप से ऋणी हूं। मैं विशेष रूप से इसलिए भी आभारी हूं कि तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी सभी ने अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है। ऐसे दौर और हालात में, जब विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद हताशा और निराशा का माहौल था। डर, दबाव और लालच के कुचक्र में फंसे साथी, सत्ता के समक्ष समर्पण करते हुए, कांग्रेस से किनारा कर रहे थे।
दरअसल, कांग्रेस नेतृत्व ने सर्वसम्मति से जब मुझे जिम्मेदारी दी, तब एक ऐसे कार्यकर्ता को अगली पंक्ति में आने का मौका मिता था, जिसने मन, वचन, कर्म से कांग्रेस की विचारधारा के लिए पूर्ण समर्पण से कार्य किया है। मैं कार्यकर्ताओं के महत्व और जमीनी संघर्ष को जानता और मानता हूं, इसीलिए मैंने सामूहिक नेतृत्व के साथ संवाद, सक्रियता, सहयोग और समन्वय पर जोर दिया है।
हमारे साझा प्रयासों ने सर्वप्रथम राज्यसभा चुनाव में एकजुटता से सफलता हासिल की। भारत जोड़ो न्याप यात्रा को भी जन-मन तक पहुंचाने में जान लगाई, लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी चयन में सामूहिक निर्णय पर जोर दिया और नई चुनौतियों के बीच नए चेहरों की आमद से कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह के नए वातावरण का निर्माण किया। मैं पूर्ण विश्वास के साथ यह कह सकता हूं, कि एक-एक निर्णय में सभी की भूमिका और भागीदारी सुनिश्क्षित की गई।
श्री पटवारी ने पत्र में लिखा कि मैं यह भी जानता हूं कि अहंकार एवं तानाशाही के इस सबसे गंभीर दौर में चुनौतियां कम नहीं है। नीति में अनीति और सेवा में स्वार्थ के साथ सत्ता में बैठा विरोधी दल, जब लोकतंत्र और संविधान के अस्तित्व को ही मिटाने पर आमादा है, तो समझा जा सकता है कि निर्णायक संघर्ष से ही प्रेम, भाईचारे और सद्भावना की कांग्रेसी विचारधारा को आगे बढ़ाया जा सकता है। मैं तब और अधिक आश्वस्त और उत्साहित होता हूं, जब सोचता हूं कि संघर्ष से सफलता के ऐसे अनेक दौर कांग्रेस ने पहले भी देखे हैं। मैं उस दल के विचार का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, जिसने शांति और क्रांति के साझा स्वर में देश की स्वतंत्रता के असंभव स्वप्न को भी साकार किया है। हमारे पूर्वजों ने बयान नहीं, बलिदान देकर विचारधारा में प्राण फूंके हैं।
श्री पटवारी ने पत्र में लिखा कि ऐसी अनेक गौरवशाली गाधाओं से मिली शिक्षाओं को साथ लेकर हम न केवल संघर्ष करेंगे, बल्कि सफलता के लिए प्राण-प्रण से परिणामदायक प्रयास करेंगे। हमें यह समझना ही होगा कि अब परंपरागत कार्यप्रणाली को बदलना होगा। हमारे पास विचार और अनुभव की ताकत है, उस शक्ति को साथ लेकर चलना होगा। कमियों को किनारे करते हुए, नई ऊर्जा-नए चेहरों के साथ आगे बढ़ना होगा, कांग्रेस की विचारधारा को युवा मस्तिष्क में गढ़ना होगा।

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