अध्यात्म

जीवन कुंडली में गुरू “ब्रहस्पति” की महिमा-

: गुरु संतति का कारक ग्रह है । सन्तति से मिलने वाला सुख, संतति का स्वभाव, गर्भ की स्थिति, आदि का गुरु मूलरूप से अत्यन्त महत्व पूर्ण करक ग्रह है । गुरो: पंचमत: पुत्र: त विद्या गुरु की पंचम स्थान से पुत्र या विद्या या शिक्षा का विचार किया जाता है । गुरुनाम देहपूष्टीच ।शरीर में गुरु मेद (fat) का करक ग्रह है । शरीर पुष्टि, स्थूलता, अति खाने से होने वाली बीमारी आदि रूप से गुरु का अभ्यास करना चाहिए । गुरु पुरुष ग्रह, गौर वर्ण का, मानी, शांत स्वभाव का, सद्विवेक बृद्धि का, प्राकृतिक रूप से शुभ ग्रह है। गुरु का सम्बन्ध अगर कुंडली में छठे, आठवे और बारहवे भाव से आता है तो पेट से सम्बंधित समस्या हो सकती है जैसे की गैस, पाचन क्रिया गड़बड़ाना, लीवर और किडनी से सम्बंधित समस्या I गुरु ग्रह के शुभ लाभ पाने के लिए और नकारात्मक उर्जा को दूर करने के लिए अगर इन वस्तुओ को जल मिला कर स्नान किया जाये तो बहुत लाभ होता है I

मदयंती पल्लवश्च मधुकं श्वेतसर्षपाः

मालती पुष्पयुक्ताश्च स्नानेन गुरुतोषणम् पकउ

मदयंती के पत्र, मुलैठी, सफेद सरसों, हल्दी, केसर और मालती के पुष्पों को जल में मिला कर स्नान करने से गुरु प्रसन्न होते हैं ।

स्थान हानि करो जीवः

स्थान वृद्धि करो शनि ।।

शनि जिस भाव में बैठता है उस भाव की व्रद्धि करता है और गुरु जिस भाव में बैठेगा उस भाव की हानि करेगा ।

वास्तव में जब गुरु शनि के घर में होगा तब ही स्थान की हानि करेगा । और शनि गुरु के घर में होगा तब ही स्थान की वृद्धि करेगा।

गुरु में सबसे बड़ी पॉजिटिव एनर्जी है लेकिन उसके लिए हमे इतना सत्व गुण के नजदीक रहना होगा नही तो ये गुरु ग्रह इतना अशुभ फल देता है की बड़े बड़े रोग जैसे की डायाबीटीस, श्वास की तकलीफ, थायराइड, बीपी, मोटापा इत्यादि राजरोग जेसी बीमारी शुरू हो जाती है जो मरते दम तक साथ नही छोड़ती। जिसका गुरु केंद्र में जल तत्व का हे उसको गुरु की महादशा में चरबी युक्त आहार नही लेना चाहिए क्योंकि आजकल शरीर के मोटापे के कारण ही ज्यादातर स्थाई बीमारी घर कर जाती है। पकउ।

कैसे करें बृहस्पति देव की पूजा ताकि उनकी कृपा मिल सके?

👉 गुरुवार को चने की दाल, गुड, पीतवस्त्र, हल्दी व स्वर्ण आदि का दान करें। गौ-ब्राह्मणौ का सहयोग करें।

👉- बृहस्पतिवार का उपवास रक्खें , इस दिन नमक का सेवन न करें।

👉- घर के पिछले हिस्से में केले का पेड़ लगाएं और रोज प्रातः उसमे जल डालें

👉- बृहस्पति के मन्त्रों का जाप करें, या नित्य प्रातः विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत लाभकारी होता है

👉 फलदार वृक्ष लगाए।।

👉- विद्वानों, ज्ञानी ब्राह्मणों एवं बुजुर्गों का सम्मान करें और इनका भूलकर भी अपमान ना करें।

👉- अगर बृहस्पति अशुभ हो तो गले में माला और स्वर्ण धारण नहीं करना चाहिए

 

बृहस्पति अकारक या मारक हो और अशुभ फल दे रहा हो तो क्या उपाय करें?

👉- नित्य प्रातः हल्दी मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करें “एक सोने या पीतल के लोटे से”। एवं विष्णु की स्वर्ण मूर्ति अपने पास रक्खें ।

👉-गुरुतुल्य, विद्वान, ब्राह्मण एवं धर्मकार्यों में संलग्न, पुज्यनीय व्यक्तियों की यथायोग्य सेवा करके आशीर्वाद लेते रहें।

👉- बरगद की जड़ या हल्दी को “गुरू के अनुष्ठान से प्राणप्रतिष्ठित कर” पीले धागे के साथ गले में धारण करें। – भोजन में भी हल्दी का प्रयोग अधिक करें ।

👉- नित्य सूर्योदय के पूर्व गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें।

👉- पीला पुखराज या टोपाज सोने में धारण करें “परंतु किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर ही” ।

अगर दुर्भाग्य आपका पीछा न छोड़ रहा हो तो, पुराने वस्त्र पहन कर गुरुवार को किसी नदी या सरोवर पर जाएँ, अपने साथ साफ़ नवीन वस्त्र भी ले जाएँ, पुराने वस्त्र पहन कर नदी या सरोवर के जल से स्नान करें , और पुराने वस्त्र वहीँ छोड़ दें और साथ लाये दूसरे नवीन वस्त्र पहन लें। हाथ जोड़कर भगवान विष्णु एवं गुरू की प्रार्थना करें व निवेदन करें कि पुराने वस्त्रों के साथ आपके पाप व दुर्भाग्य भी यहीं छूट जाए। पकउ।

नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है. पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र, ब्राह्मण और संस्कारों को नियंत्रित करता है. शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता है. पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है. महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है, ।।

 

सामान्य व्यक्ति कैसे समझें कि बृहस्पति अशुभ है?

👉 बृहस्पति के कमजोर या अशुभ होने से व्यक्ति में, संतानों में या परिवार में संस्कारों की कमी होती हैं।

👉 विद्या , शिक्षा और धन-सम्मान प्राप्ति में बाधा के साथ साथ व्यक्ति को बड़ों और विद्वानों का सहयोग पाने में मुश्किलें आती हैं।

👉व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर होता है,कैंसर और लीवर की सारी गंभीर समस्याएँ बृहस्पति ही देता है।

👉संतान पक्ष की ओर से चिन्ताऐं व समस्याएँ भी परेशान करती हैं।

👉- व्यक्ति सामान्यतः निम्न कर्म की ओर झुकाव रखता है और बड़ों का सम्मान नहीं कर पाता ।

 

बृहस्पति के शुभ होने के लक्षण क्या हैं?

👉- व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होता है, सहजता से ही मान सम्मान पाता है।

👉- व्यक्ति के ऊपर दैवीय कृपा होती है और व्यक्ति जीवन में तमाम समस्याओं से आसानी से बचता रहता है।

👉-गुरू प्रधान व्यक्ति आम तौर पर शिक्षा, धर्म , समाज सेवी, लेखन, कानून या कोष (बैंक) आदि के कार्यों में पाऐ जाते हैं

👉- अगर बृहस्पति केंद्र में उच्च, मूलत्रिकोण, मित्रग्रही या स्वग्रही हो और पाप प्रभावों से मुक्त हो तो व्यक्ति की सारी समस्याएँ हो जाती हैं।

👉- कभी कभी ये वलवान बृहस्पति अत्यधिक स्वाभिमानी और भोजन प्रिय भी बना देता है।

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वैसे हमने ग्रहों में गुरु यानी बृहस्पति का बारीकी से शुभाशुभ एवं उपाय समझाने का भरपूर प्रयास किया है परंतु फिर भी कोई निर्णय बिना योग्य ज्योतिषाचार्य के परामर्श ना लें, यही सर्वाधिक उचित होगा।

 

राजज्योतिषी:- पं. कृपाराम उपाध्याय “स्वर्ण पदक”

जीवन “रेखा” ज्योतिष शोध केंद्र, भोपाल म.प्र. #- 7999213943
 राजज्योतिषी पं कृपाराम उपाध्याय ज्योतिषाचार्य भोपाल मो.न-7999213943

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