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नक्सल प्रभावित बालाघाट  जिले में नक्सलियों की घुसपैठ लगातार बनी हुई है

,्बालाघाट।

नक्सल प्रभावित बालाघाट  जिले में नक्सलियों की घुसपैठ लगातार बनी हुई है. बारिश का मौसम नक्सलियों के लिए नए साथियों की भर्ती के लिए अनुकूल रहता है. क्योंकि, बारिश में नदियां उफान पर होती हैं. जंगल घना होता है. इसे देखते हुए हार्डकोर नक्सली सुरेंद्र उर्फ कबीर नई टीम को भर्ती भी कर रहा है और ट्रेनिंग भी दे रहा है।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सरकार के नक्सल विरोधी अभियान की वजह से वहां के नक्सलियों में भगदड़ मच गई है. पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों के लगातार प्रहार से नक्सली संगठन बैकफुट पर आ गए हैं. इसी वजह से नक्सली अब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बीच जंगलों में टीम के विस्तार में जुटे हुए हैं. इसके लिए उन्होंने बस्तर के नए माओवादियों को बड़ी जिम्मेदारी दी है. बारिश में नदी-नाले उफान पर रहते हैं और जंगल ज्यादा घना हो जाता है. इस वजह से पुलिस और जवानों की पेट्रोलिंग कम हो जाती है. ये देखते हुए इन इलाकों को हार्डकोर नक्सली सुरेन्द्र उर्फ कबीर लीड कर रहा है. सुरेंद्र छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में हुई कई बड़ी वारदातों का मास्टर माइंड रहा है।
बालाघाट जोन के आईजी संजय कुमार ने बताया कि वर्तमान में एमएमसी जोन में नक्सलियों की दो डिवीजन सक्रिय हैं. इन दो डिवीजन में एक जीआरबी है. इसमें नक्सलियों की मलाजखंड टीम और दड़ेकसा टीम है. इसके अलावा टांडादलम में संख्या कम होने के चलते इसके सदस्य कभी मलाजखंड दलम, तो कभी दड़ेकसा दलम में घूमते रहते हैं. दूसरी केबी डिवीजन है. इस डिवीजन में भोरमदेव एरिया कमेटी और खटिया मोचा कमेटी सक्रिय हैं. एमएमसी जोन में वर्तमान में नक्सलियों की संख्या 75-80 हो सकती है. अब एमएमसी जोन में जो भी नक्सलियों का ग्रुप आ रहा है, वह छोटी-छोटी संख्या में आ रहा है।

जंगल में चुनौतियां अलग ही होती हैं- आईजी कुमार
बालाघाट जोन के आईजी संजय कुमार ने कहा कि बारिश के दिनों में जंगलों में सर्चिग करने में फोर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन, बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में अब पहले जैसे हालात नहीं रहे. अब पुल, पुलिया, अच्छी सड़कें बन गई हैं. अब इन इलाकों में उतनी परेशानी नहीं होती. फिर भी जंगल में अलग ही तरह की चुनौतियां होती हैं।

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