न्यूजीलैंड ने भारत में 36 साल बाद टेस्ट जीता
न्यूजीलैंड ने जसप्रीत बुमराह के खतरनाक स्पैल का डटकर सामना करते हुए आखिरी दिन किसी चमत्कार की भारत की कोशिशों पर पानी फेर दिया । पहला टेस्ट आठ विकेट से जीतकर न्यूजीलैंड ने 36 साल बाद भारतीय सरजमीं पर पारंपरिक प्रारूप में सफलता का स्वाद चखा। आखिरी बार न्यूजीलैंड ने भारत को 1988 में जॉन राइट की कप्तानी में वानखेड़े स्टेडियम पर 136 रन से हराया था। जीत के लिये 107 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए न्यूजीलैंड ने शुरूआती झटकों के बाद कोई कोताही नहीं बरती। विल यंग 48 रन बनाकर और रचिन रविंद्र 39 रन बनाकर नाबाद रहे। दोनों ने तीसरे विकेट के लिये 75 रन की अटूट साझेदारी करके टीम को तीन मैचों की श्रृंखला में 1.0 से बढत दिला दी।
पहली पारी में 46 रन पर आउट होने के बावजूद भारत ने जिस तरह मैच में वापसी की थी, वह काबिले तारीफ है। उसे अब पुणे में 24 अक्टूबर से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट में इस हार को भुलाकर अपना स्वाभाविक खेल दिखाना होगा। गले की जकड़न से उबरने के बाद शुभमन गिल की दूसरे टेस्ट में वापसी तय लग रही है लेकिन पहले टेस्ट की दूसरी पारी में 150 रन बनाने वाले सरफराज खान को अब अनदेखा नहीं किया जा सकता है।भारत को यह भी देखना होगा कि तीन तेज गेंदबाजों के साथ उतरना है या तीन स्पिनर ही उतारने है। यह फैसला एम चिन्नास्वामी स्टेडियम पर कारगर साबित नहीं हुआ। आखिरी दिन गीली आउटफील्ड के कारण मैच एक घंटा विलंब से 10 बजकर 15 मिनट पर शुरू हुआ। नयी गेंद संभालते हुए बुमराह ने 29 रन देकर दो विकेट लिये। टॉम लाथम खाता खोले बिना पहले ही ओवर में आउट हो गए। अंपायर ने उन्हें पगबाधा आउट दिया जिस पर उन्होंने रिव्यू लिया। डीआरएस में भी उनके आउट होने की पुष्टि हो गई।
भारत को तीसरे तेज गेंदबाज की कमी महसूस हुई होगी क्योंकि विकेट से बुमराह और मोहम्मद सिराज को मदद मिल रही थी। भारत ने तीसरे स्पिनर के तौर पर कुलदीप यादव को उतारा था जिन्होंने तीन ओवर में 26 रन दिये। डेवोन कोंवे भी बुमराह के सामने असहज लग रहे थे और 17 रन बनाकर पगबाधा आउट हो गए। न्यूजीलैंड का स्कोर उस समय दो विकेट पर 35 रन था लेकिन यंग और रविंद्र ने इसके बाद संभलकर खेला। आसमान खिलने के बाद बल्लेबाजी में दिक्कत नहीं हुई और दोनों ने ढीली गेंदों को नसीहत दी । पहली पारी में शतक जमाने वाले रविंद्र ने कुलदीप को छक्का भी लगाया।