
जबलपुर। हाई कोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा 87:13 फार्मूले के आधार पर पात्रता परीक्षा यानी स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (सेट) का परिणाम जारी किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा है कि पात्रता परीक्षा में आरक्षण लागू नहीं होता है। एकलपीठ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करें।
रीवा निवासी शिवेन्द्र कुमार की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए आवेदन किया था। उसके लिए सेट एक अनिवार्य पात्रता परीक्षा है। एमपीपीएससी ने परीक्षा का आयोजन करवाटे हुए रिजल्ट जारी किया। आयोग ने सेट का रिजल्ट 87:13 के अनुपात में जारी किय। आयोग ने सामान्य व ओबीसी वर्ग के 13 प्रतिशत रिजल्ट रोक दिए। जिसके कारण कारण कई योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए।
याचिका में कहा गया था कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट की तरफ से 13 प्रतिशत रिजल्ट रोकने के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। आयोग ने मनमाने तरीके से 13 प्रतिशत रिजल्ट को होल्ड किये हैं। आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर व लाइब्रेरियन की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की युगलपीठ के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पात्रता परीक्षा में आरक्षण लागू नहीं होता है। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को लाइब्रेरियन पद की भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश जारी किये हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश सिंह चौहान ने पैरवी की।