पापा कसम, मैंने ही बहनों को मारा…! जिन्हें साथ खाना खिलाया, उन्हें ही मौत की नींद सुलाया
विद्या की कसम, पापा की कसम…मैने ही दोनों बहनों को मारा है। यह अल्फाज आरोपी किशोरी के पुलिस की पूछताछ के वक्त रहे। दरअसल, पुलिस को भी यह विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिर इस उम्र में कोई लड़की अपनी छोटी बहनों को कैसे मार सकती है। वारदात का पूरा वाकया एक एककर आरोपी किशोरी ने पुलिस को सुना दिया।पूलिस की पूछताछ में सामने आया कि आरोपी किशोरी के सौतेले पिता शाम को काम पर चले गए थे। उसके कुछ देर तक उसने फोन देखा। रात में करीब सवा दस बजे पास में ही उसकी बहन पवित्रा और रिया सोई हुई थी। तभी आरोपी किशोरी ने दुपट्टे से पहले रिया और फिर पवित्रा का गला घोंट दिया। इस वारदात ने दोनों मासूम उठ भी नहीं सकी और दम घुट गया। हालांकि पास में ही इनकी मां भी सोई हुई थी, जिसकी भी आंख नहीं खुली।
काम का बोझ और सौतेलेपन की बेबसी में दिया वारदात को अंजाम
बताया गया कि 11 साल पहले किशोरी की मां ने दूसरी शादी कर ली थी, उस वक्त आरोपी महज तीन साल की थी। अब दूसरे पिता से पांच बच्चे हुए। इसी बीच किशोरी को लगता था कि उसके सौतेले पिता अपने बच्चों से ज्यादा प्यार करते हैं। इसके साथ ही मां अक्सर बीमार रहती थी, ऐसे में काम के बोझ और छोटे बच्चों की देखभाल में बड़ी बेटी यानि आरोपी किशोरी लगी रहती थी। माना जा रहा है कि किशोरी ने इसी से परेशान होकर यह खौफनाक कदम उठा लिया।
पांच हजार का कर्ज भी अदा नहीं कर पाया था बेबस पिता
नूरपुर कोतवाल अमित कुमार ने बताया कि आरोपी किशोरी दसवीं में पढ़ती है। मगर, परिवार की आर्थिक तंगी के कारण उसे भी कभी कभी डेढ़ सौ रुपये दिहाड़ी की मजदूरी पर जाना पड़ता था। पिछले साल आरोपी किशोरी के पिता ने बेटे के जस्टौन के लिए पांच हजार रुपया उधार लिया था, उसे भी परिवार चुकता नहीं कर पाया। आर्थिक तंगी से परिवार घिरा हुआ था।
गुम हो गईं किलकारियां
एक दिन पहले तक जिस घर में छह भाई बहन आपस में प्रेम से रहते थे, वहीं बीती रात मासूमों की बड़ी बहन ही छोटी बहनों के लिए काल बन गई। अपनी बहन के हाथों ही जान गंवाने वाली मासूम रितु व पवित्रा को ये भी अहसास नहीं होगा कि उन्हें अपने साथ खाना खिलाने वाली उनकी देख भाल करनी वाली बड़ी बहन ही उन्हें मौत की नींद सुला देगी। मां तो अक्सर बीमार रहती है। चार बहनों और डेढ़ साल के भाई के देखभाल की पूरी जिम्मेदारी बड़ी बहन के कंधों पर थी। घटनाक्रम के बाद परिवार के आंगन में बच्चों की किलकारियां कहीं गुम हो गई।