रेरा के चेयरमैन एपी श्रीवास्तव के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की
भोपाल : प्रदेश के पूर्व आईएएस अधिकारी और रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) के चेयरमैन एपी श्रीवास्तव विरुद्ध आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने बुधवार को प्राथमिक जांच (पीई) कायम की है। तीन दिन पहले एक एक्टिविस्ट प्रभाष जेटली की शिकायत की जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने यह कार्रवाई की है। शिकायत में कहा गया है कि रेरा में अपनी पदस्थापना के दौरान एपी श्रीवास्तव ने बिना अधिकार कई नियुक्तियां की हैं। यहां तक 65 वर्ष से अधिक उम्र के सेवानिवृत अधिकारी-कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्ति दी गई। इस कारण ईओडब्ल्यू ने पद के दुरुपयोग को लेकर प्राथमिकी 4/24 दर्ज की है।
एपी श्रीवास्तव पर केस दर्ज
अब इस मामले में विस्तृत जांच के बाद श्रीवास्तव के विरुद्ध प्रकरण भी पंजीबद्ध किया जा सकता है। 1984 बैच के आइएएस अधिकारी श्रीवास्तव एंटोनी डिसा के त्याग पत्र देने के बाद वर्ष 2021 में रेरा के चेयरमैन बने थे। सूत्रों के अनुसार ईओडब्ल्यू के अतिरिक्त शासन के पास एपी श्रीवास्तव के विरुद्ध चार शिकायतें पहुंची हैं।
कुछ बिल्डरों ने भी जानबूझकर प्रोजेक्ट अटकाने की शिकायतें शासन से की हैं। उनकी भी शासन स्तर पर जांच चल रही है। यह भी शिकायत है कि भोपाल में आकृति डेवलिंक्स में उनका रहवासी प्लाट है। बताया जा रहा है अपने प्लाट को लेकर बिल्डर से विवाद के चलते उन्होंने यहां के 12 प्रोजेक्ट रोक दिए हैं।
प्रोजेक्ट्स को अटकाने के आरोप
नियमानुसार वहां के रहवासी होने के नाते वह अपनी कालोनी मामले की सुनवाई नहीं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना सहित शासन के अन्य प्रोजेक्ट्स को अटकाने के आरोप भी उन पर लगे हैं। उल्लेखनीय है कि रेरा अधिनियम के अंतर्गत रेरा में नियुक्ति का अधिकार शासन को है न कि चेयरमैन को।
शासन ने हाई कोर्ट को भेजा पूरा मामला एपी श्रीवास्तव को मिली शिकायतों को शासन ने हाई कोर्ट को भेजा दिया है। रेरा चेयरमैन की नियुक्ति शर्तों के अंतर्गत सरकार उन्हें सीधे हटा नहीं सकती। जांच में पद के दुरुपयोग के अतिरिक्त अन्य गड़बड़ियां भी सामने आ सकती हैं। हाई कोर्ट की जांच में पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी।
एक पद का विज्ञापन निकाला और दो पर नियुक्ति
रेरा में न्याय निर्णय अधिकारी के दो पदों को भरने के लिए अलग-अलग प्रक्रिया की गई। एक पद के लिए रेरा ने विज्ञापन निकाला, जबकि दूसरे पद के लिए तीन नामों का पैनल बनाकर शासन को भेजा। शासन ने इनमें एक उम्मीदवार के नाम पर सहमति दे दी। उधर, विज्ञापन से भी दूसरे पद भर लिया गया।