शिक्षक (श्रीमती ज्योति पांडे) द्वारा उठाए गए दावे तथ्यात्मक और कानूनी रूप से काफी मजबूत हैं। यहाँ उनके मुख्य दावों का सत्यापन दिया गया है
1. निजी मोबाइल का दावा (Factual Claim)
* दावा: शिक्षक का कहना है कि उन्होंने मोबाइल खुद खरीदा है, यह उनकी “निजी संपत्ति” है, न कि “शासन द्वारा प्रदत्त” (government-provided) है।
* सत्यापन: यह दावा पूरी तरह से वैध है। सरकार अपने कर्मचारियों को आधिकारिक काम के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर तो देती है, लेकिन आमतौर पर मोबाइल फोन नहीं देती। इसलिए, शिक्षक का यह कहना कि वह अपने निजी फोन का उपयोग कर रही हैं, तथ्यात्मक रूप से सही है।
2. निजता के हनन का दावा (Legal Claim)
* दावा: शिक्षक का कहना है कि ऐप उनकी फोटो, लोकेशन और अन्य निजी जानकारी (जैसे वित्तीय जानकारी) को किसी “थर्ड पार्टी” के साथ साझा करने के लिए मजबूर करता है, जो उनकी “निजता का हनन” (Violation of Privacy) है।
* सत्यापन: यह शिक्षक का सबसे मजबूत तर्क है।
* मौलिक अधिकार: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने (विशेष रूप से के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में) “निजता के अधिकार” (Right to Privacy) को संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत एक मौलिक अधिकार माना है।
* डेटा और लोकेशन: ई-अटेंडेंस ऐप काम करने के लिए अनिवार्य रूप से जीपीएस (GPS) लोकेशन ट्रैकिंग और संभवतः कैमरे (फोटो के लिए) का एक्सेस मांगते हैं।
* जबरन सहमति: किसी व्यक्ति को अपनी निजी डिवाइस पर एक ऐसा ऐप इंस्टॉल करने के लिए मजबूर करना जो लगातार उनकी लोकेशन ट्रैक करता हो, उनके मौलिक अधिकार (निजता) का उल्लंघन माना जाता है।
3. सरकारी आदेश की वैधता का दावा (Policy Claim)
* दावा: शिक्षक का तर्क है कि ऐसा कोई “सरकारी आदेश” नहीं है जो किसी कर्मचारी को अपने निजी फोन पर ऐप इंस्टॉल करने के लिए बाध्य कर सके।
* सत्यापन: यह दावा भी कानूनी रूप से सही है।
* विभाग यह आदेश दे सकता है कि उपस्थिति “ई-अटेंडेंस ऐप” के माध्यम से होगी, लेकिन वे यह मजबूर नहीं कर सकते कि कर्मचारी इस ऐप को चलाने के लिए अपना खुद का फोन और खुद का इंटरनेट डेटा इस्तेमाल करें।
* अगर सरकार को ऐसा ऐप अनिवार्य करना है, तो सैद्धांतिक रूप से उन्हें कर्मचारियों को सरकारी डिवाइस (जैसे एक साधारण स्मार्टफोन) और डेटा प्लान उपलब्ध कराना चाहिए।
4. डेटा सुरक्षा का दावा (Security Claim)
* दावा: शिक्षक ने “डेटा और साइबर क्राइम से सुरक्षा के आश्वासन” और “क्षतिपूर्ति” (compensation) की मांग की है।
* सत्यापन: यह एक बहुत ही व्यावहारिक और वैध चिंता है। यदि कोई सरकारी ऐप किसी कर्मचारी के निजी फोन पर इंस्टॉल किया जाता है और उस ऐप में सुरक्षा खामी (security flaw) के कारण कर्मचारी का निजी डेटा (जैसे बैंकिंग विवरण, निजी तस्वीरें) लीक या हैक हो जाता है, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? शिक्षक का यह कहना कि सरकार पहले डेटा सुरक्षा की गारंटी दे, बिल्कुल जायज है।
निष्कर्ष
शिक्षक के दावे केवल बहाने नहीं हैं, बल्कि वे निजता के मौलिक अधिकार और संपत्ति के अधिकार (अपने निजी फोन पर) पर आधारित एक मजबूत कानूनी तर्क हैं



