संपादकीय

सट्टा बाजार पर मोहित मीडिया

● रवि उपाध्याय

18 वीं लोकसभा चुनाव के सात में से 6 चरणों के लिए मतदान संपन्न हो गया है। अब सातवें एवं अंतिम चरण के लिए मतदान 1 जून को होगा। सातवें चरण का मतदान समाप्त होने या शाम करीब 6 बजे से न्यूज चैनल्स पर एक्ज़िट पोल आने लगेंगे। इसी दरम्यान मीडिया अपनी पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए देश के सट्टाबाजारों पर न केवल मोहित हो रहा है बल्कि इस अवैध कारोबार का महिमा मंडन भी कर रहा है । मीडिया देश के सट्टा बाज़ारों में सियासी दलों के हार जीत के भाव दिखा रहा है। मीडिया का दावा है कि राजस्थान में स्थित फलोदी सट्टाबाजार 500 साल पुराना है, यानी मुगल बादशाह बाबर के समय का है। बता दें कि 16 मार्च को निर्वाचन आयोग ने देश में 18 वीं लोकसभा के लिए निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा कर आदर्श आचार संहिता घोषित की थी। जबकि उसके पहले जनवरी 2024 से ही विभिन्न न्यूज चैनलों ने लोकसभा चुनावों के ओपिनियन पोल दिखाना शुरू कर दिया था। उसके बाद से यह देखने में आ रहा है कि न्यूज चैनलों पर प्रत्येक दिन लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। सैफलोजिस्ट अपने अपने अनुमान लगाए जा रहे हैं। इसके बाद भी प्रत्येक न्यूज चैनल सट्टा बाजार के चुनावी अनुमान बताने में मशगुल हैं। यह बता दें अधिकांश न्यूज़ चैनल्स और मीडिया संस्थानों ने ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों से अनुबंध कर रखा है। इसके बाद भी सट्टा बाजार के कयासों को दिखना आश्चर्य चकित करता है। यह एक तरह से मीडिया संस्थानों का उतावलापन है, टीआरपी के लिए मारा मरी है। निर्वाचन आयोग द्वारा 1996 से सभी चरणों का मतदान संपन्न होने के एक घंटे बाद ही सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल दिखाने की इजाजत दी है। परंतु कई चैनल शाम के ठीक 5 बजते ही अनुमान दिखाने और उस पर बहस शुरू कर देते हैं।

मीडिया इन दिनों फलोदी सट्टा बाजार का विशेष रूप से उल्लेख करता है। देश में वैसे तो कई ऐसे शहर हैं जहाँ सट्टा बाजार हैं। जिनमें चुनावों के दौरान एवं क्रिकेट तथा मौसम के अनुमान पर लाखों रुपए का सट्टा लगाया जाता है। यह सब कानूनी रूप से अवैध है। परंतु सरे आम यह बाजार आबाद हैं। जिन पर कोई रोक टोक नहीं। प्रिंट मीडिया में दशकों पहले मटकों के नाम से प्रतिदिन सट्टा के अंक छापे जाते थे। इससे अखबारों की बिक्री बढ़ जाती थी। आज कल जिन सट्टा बाजारों की सर्वाधिक चर्चा है उनमें फलोदी, इंदौर, रतलाम, पालनपुर, करनाल, बोहरी, बेलगाम, कोलकाता,विजयवाड़ा, अहमदाबाद,सूरत, मुंबई एवं कल्याण के सट्टा बाजार शामिल हैं। यहां यह बता दें कि हमारे देश में जबसे एग्जिट पोल दिखाना शुरू हुआ उनमें से 95 प्रतिशत अनुमान गलत साबित हुए। शेष चुनाव परिणाम के आसपास ही रहे। दुनिया में एग्जिट पोल का जनक नीदरलैंड के मार्सेलवान डेन को माना जाता है। उन्होंने अपना पहला एग्जिट पोल 15 फरवरी 1967 को नीदरलैंड में जारी किया था। भारत में पहली बार एग्जिट पोल 1996 में दूरदर्शन पर सीएसडीएस ने दिखाया। 2004 लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल पूरी तरह से नाकामयाब रहे। 2009 के लोकसभा चुनावों में इन पर रोक लगाने की मांग भी उठी। परंतु सट्टा बाजारों में चुनाव परिणामों को लेकर कयासबाजी और करोड़ों रुपए के दांव वर्षों से बेरोकटोक चले आ रहे हैं।

 

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