सीएजी ने मध्य प्रदेश सरकार के बजटीय प्रबंधन पर गंभीर प्रश्न उठाए

भोपाल। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) प्रदेश सरकार के बजटीय प्रबंधन को खराब मानते हुए उस पर कई गंभीर प्रश्न उठाए हैं। सीएजी ने सरकार को राजस्व व्यय को पूरा करने के लिए पूंजीगत प्राप्तियों (उधारी) से बचने की सलाह देते हुए आगाह किया है और स्वयं के राजस्व में वृद्धि करने का सुझाव भी दिया है।रिपोर्ट में कहा है कि बजट तैयार करने की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए कि बजट अनुमानों और वास्तविक के बीच का अंतर कम किया जा सके। सीएजी ने इस बात पर गंभीर आपत्ति की है कि अवास्तविक प्रस्ताव, व्यय निगरानी तंत्र के ठीक से काम नहीं करने और योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं होने के कारण बजट का संतुलन सही नहीं होता।नतीजतन, कई विभाग तो व्यय ही नहीं कर पाते और कई विभागों के पास काम करने के लिए बजट ही नहीं रहता। शुक्रवार को विधानसभा में प्रस्तुत की गई सीएजी की रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक बजट बनाने से लेकर व्यय की निगरानी और उपयोग को लेकर प्रश्न उठाए गए हैं।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में तीन लाख 21 हजार करोड़ रुपये के बजट में से 50 हजार 543 करोड़ (15.71 प्रतिशत ) रुपये बच गए थे। इसमें 22 हजार 984 करोड़ रुपये विभागों द्वारा वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन शासन को लौटाए गए, पर बाकी राशि समर्पित नहीं करने से लैप्स हो गई।
इसमें पूंजीगत व्यय के लिए प्राविधानित राशि अधिक थी। सीएजी की रिपोर्ट से यह संकेत मिलते हैं सरकार हर वर्ष बजट में भले ही राशि बढ़ाती जा रही है, पर वास्तविक व्यय से तुलना करें तो तस्वीर अलग दिखती है। सीएजी ने दूसरा बड़ा प्रश्न अनुपूरक प्रावधान को लेकर उठाया है।