स्पेन को 2-1 से हराकर भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता

पेरिस: टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद जो इज्जत, जितनी शोहरत और जितना प्यार भारतीय क्रिकेट टीम को मिला था, आज भारतीय हॉकी टीम भी उतनी की ही हकदार है। स्टिक थामे ब्लू जर्सी वाले इन लड़कों ने कमाल कर दिया। जैसे रोहित शर्मा की टीम राहुल द्रविड़ के लिए खेली थी, ठीक वैसी ही विदाई अपनी हॉकी टीम ने श्रीजेश को दी। इधर स्पेन को 2-1 से हराकर भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता और उधर लड़कों ने पीआर श्रीजेश के सजदे में सिर झुका लिया। उन्हें अपने कंधों पर उठा लिया। केरल के 36 साल के इस जोशीले लड़के को ऐतिहासिक विदाई मिली है।
भारतीय इतिहास के महानतम गोलकीपर
ओलंपिक शुरू होने से पहले ही श्रीजेश ने ऐलान कर दिया था कि ये उनका आखिरी इंटरनेशनल टूर्नामेंट है। इसके बाद भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर श्रीजेश को सुनहरी विदाई देना ही अपना एकमात्र लक्ष्य बना लिया। जर्मनी ने सेमीफाइनल में सपना तोड़ा तो स्पेन से इसका बदला ले लिया गया। अपने 18 साल लंबे करियर में ‘मजबूत दीवार’ की तरह उभरे केरल के श्रीजेश शायद भारतीय हॉकी इतिहास के महानतम गोलकीपर माने जाएंगे। स्पेन के खिलाफ इस मैच में पीआर श्रीजेश ने छह में से पांच गोल बचाए। मैच के बाद उन्होंने विश्वास करने के लिए देशवासियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
धीरे-धीरे टीम की जरूरत बनते गए श्रीजेश
कोलंबो में 2006 में दक्षिण एशियाई खेलों के जरिये भारत की सीनियर टीम में पदार्पण करने वाले श्रीजेश 2011 तक एड्रियन डिसूजा और भरत छेत्री जैसे सीनियर गोलकीपरों के रहते टीम में स्थायी जगह नहीं पा सके। वह 2011 से टीम के अभिन्न अंग बने और 2014 एशियाई खेल फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ दो पेनल्टी स्ट्रोक बचाकर स्टार बने। इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा और ओलंपिक, विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल, प्रो लीग सभी टूर्नामेंटों में उनका जलवा रहा। खेल रत्न, पद्मश्री , विश्व के सर्वश्रेष्ठ एथलीट, एफआईएच के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी , 336 अंतरराष्ट्रीय मैच उनकी उपलब्धियों की गवाही खुद ब खुद देते हैं।
हर खिलाड़ी को 15 लाख
हॉकी इंडिया ने बयान जारी कर बताया है कि वह पेरिस ओलंपिक-2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय टीम के हर खिलाड़ी को 15 लाख रुपये ईनाम के तौर पर देगी। वहीं टीम के सपोर्ट स्टाफ के हर सदस्य को 7.5 लाख रुपये देगी। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और टीम के पूर्व कप्तान दिलीप टर्की ने खिलाड़ियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा, “ये जीत टीम के खिलाड़ियों, सपोर्ट स्टाफ की कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता का परिणाम है। लगातार दो ओलंपिक मेडल जीतना बहुत बड़ी उपलब्धि है। ये विश्व स्तर पर भारतीय हॉकी उदय की कहानी बयां करता है।”इस तरह 52 साल बाद लगातार दो ओलंपिक में बैक टू बैक मेडल आया है। इससे पहले 1968 मैक्सिको ओलंपिक और 1972 म्यूनिख ओलंपिक में भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। इस तरह मौजूदा ओलंपिक में भारत के पदकों की संख्या चार हो चुकी है। इससे पहले सेमीफाइनल में जर्मनी ने भारत को हराकर 60 साल बाद गोल्ड मेडल जीतने का ख्वाब तोड़ा था।
गोल्ड मेडलएम्स्टर्डम 1928
गोल्ड मेडललॉस एंजिल्स 1932
गोल्ड मेडलबर्लिन 1936
गोल्ड मेडललंदन 1948
गोल्ड मेडलहेलसिंकी 1952
गोल्ड मेडलमेलबर्न 1956
सिल्वर मेडलरोम 1960
गोल्ड मेडलतोक्यो 1964
ब्रॉन्ज मेडलमेक्सिको सिटी 1968
ब्रॉन्ज मेडलम्यूनिख 1972
गोल्ड मेडलमॉस्को 1980
ब्रॉन्ज मेडलतोक्यो 2020
ब्रॉन्ज मेडलपेरिस 2024