अध्यात्मखबर

गर्भवती के कैल्शियम का सेवन करने से पुत्र-रत्न और आयरन खाने पर होती है कन्या रत्न की प्राप्ति

लव मैरिज करने पर तीसरी पीढ़ी में नहीं पैदा होता पुत्र

भोपाल, 13 जुलाई।ज्योतिष का वैज्ञानिक महत्व भी होता है। भारत में सदियों से ज्योतिष का उपयोग भविष्य, अतीत संबंधी जानकारियों के, साथ ही शादी- विवाह, रोजगार, धन और जीवन में सुख – दुःख और राजयोग इत्यादि गणनाओं के लिए किया जाता रहा है।उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री और ज्योतिषाचार्य डॉ.नंद किशोर पुरोहित ने भोपाल के विज्ञान भवन में आयोजित ज्योतिष सम्मेलन में पत्रकारों से चर्चा की। डॉ पुरोहित ने कहा कि जो लोग लव मैरिज या अंतर्जातीय विवाह करते हैं उनकी तीसरी पीढ़ी में मेल चाइल्ड यानी पुत्र उत्पन्न नहीं होता है। डॉ पुरोहित के मुताबिक इस पीढ़ी तक बाय y क्रोमोसोम खत्म हो जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि गर्भवती महिलाओं द्वारा कैल्शियम खाने से पुत्र उत्पन्न होता है और गर्भवती महिलाओं के आयरन का सेवन करने से कन्या रत्न की प्राप्ति होती है।                              कुंडली के सप्तम स्थान पर शनि या मंगल हो तो देरी से होती है शादी.                                                            डॉ पुरोहित ने बताया कि धनु राशि का शुक होने पर और कुंडली के सप्तम स्थान पर शनि या मंगल हो तो ऐसे जातकों की शादी विलंब से होती है। उन्होंने दावा किया कि किसी भी शादी नहीं हो रही है तो 120 दिनों में सगाई हो जाएगी।                                                                शनि के प्रभाव से बचने हनुमान जी को गुड़ चने का भोग लगाएं
शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है। हर किसी के जीवन में कभी न कभी शनि की साढ़ेसाती और ढैया का कभी न कभी प्रभाव होता है। शनिदेव के प्रभाव से बचने के लिए हनुमान जी को गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए।                                                                    मानव जीवन में ज्योतिष का बड़ा महत्व है। ज्योतिष को सहायक बनाकर चलें तो सफलता अवश्य मिलती है। हस्तरेखा और मस्तिष्क रेखा कर्म के सिद्धांत को बताती है। हस्तरेखा से समय के बारे में यथार्थ जानकारी मिलती है।

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