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ओबीसी को 27 % आरक्षण लागू है, कोर्ट ने स्टे आर्डर नहीं दिया: पटेल

भोपाल। मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संरक्षक भुवनेश पटेल, मप्र महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती विभा पटेल, एडवोकेट तुलसीराम पटेल प्रदेश अध्यक्ष मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक अधिवक्ता संघ और एडवोकेड रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। दरअसल किसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई स्टे आर्डर नहीं दिया है। तथ्यों को तोड़मरोड़कर प्रचारित किया जा रहा है। इसके लिए महाधिवक्ता दोषी है। उन्होंने सरकार को गलत जानकारी दी है। उनकी लापरवाही के कारण लाखों ओबीसी युवा का भविष्य खतरे में पड़ गया क्योंकि उन्हें 27 फीसदी आरक्षण का लाभ भर्ती में नहीं मिल रहा है।मोर्चा नेताओं ने बताया कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण मामले में वैधानिक स्थिति स्पष्ट की है। मोर्चा नेताओं भुवनेश पटेल, मप्र महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती विभा पटेल, एडवोकेड रामेश्वर ठाकुर और तुलसीराम यादव ने कहा कि वस्तुस्थिति यह है कि वस्तु स्थिति यह है कि याचिका क्रमांक 3668/2022 पीएससी के एक अनुसूचित जाति वर्ग का अभ्यर्थी है जिसने पीएससी 2020 के रिजल्ट 13% होल्ड अनारक्षित वर्ग की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी जिसे जस्टिस शील नागू ने खारिज कर दिया। याचिका क्रमांक 3368/2022 में पारित अन्तरिम आदेश 4 मई 2022 का हवाला दिया जा रहा है जबकि उक्त याचिका की केस स्टेटस डिस्पोजाफ है तथा उक्त याचिका सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर ही चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किए जाने के संबंध में कोई भी आदेश जारी नही किया गया है इसलिए सरकार या प्रशासन उक्त याचिका के आदेश के कारण ओबीसी का आरक्षण हिल्ड नही कर सकती है। उक्त याचिका का यदि सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाए तो हाईकोर्ट ने वर्टिकल आरक्षण 50% से ज्यादा लागू नही करने का उल्लेख किया है। यदि ओबीसी का बड़ा हुआ 13% आरक्षण अलग कर भी कर दिया जाए तो फिर भी सरकार 60% आरक्षण लागू कर रही है (उदाहरण : एससी का 16% एसटी का 20% ओबीसी का 14% ईडबल्यूएस का 10% कुल 60% ) अर्थात याचिका क्रमांक 3368/2022 में हाईकोर्ट द्वारा पारित अन्तरिम आदेश 04मई 2022 महाधिवक्ता ओबीसी के प्रति दुर्भावना रखते हुए केवल ओबीसी का 13% आरक्षण लागू नही करने हेतु सरकार को गलत अभिमत बनाकर ओबीसी के लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है जिन्हें अब पद पर रहने का नैतिक अधिकार नही है |
मोर्चा नेताओं भुवनेश पटेल, मप्र महिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती विभा पटेल, एडवोकेड तुलसीराम पटेल और रामेश्वर ठाकुर ने आरोप लगाते हुए कहा कि महाधिवक्ता अपनी नियुक्ति दिनांक से ही आरक्षण कानूनों तथा अन्तरिम आदेशों की ओबीसी हितों के विपरीत गलत व्याख्या करके पिछड़े वर्ग को सामाजिक न्याय से वंचित करने का काम कर रहे है। जनहित में महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को तत्काल पद से हटाया जाना उचित होगा। मध्यप्रदेश सरकार को संविधानप्रिय एवं सामाजिक न्यायप्रिय योग्य अधिवक्ता को महाधिवक्ता नियुक्त करना चाहिए।

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