पांच सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर आरजीपीवी कर्मचारी मंच
भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों और स्थायी कर्मियों ने नियमितीकरण सहित पांच सूत्रीय मांगों को लेकर विश्वविद्यालय परिसर पर धरना प्रदर्शन किया। आरजीपीवी कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अमर अहिरे और अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी मांगों को लेकर 3 माह पहले अवगत कराया दिया था लेकिन प्रशासन द्वारा हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और मजबूर हो कर कर्मचारी मंच द्वारा अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है।
कर्मचारी मंच की प्रमुख मांगें
आरजीपीव्ही कर्मचारी मंच की पाँच सूत्रीय मांग
1. विश्वविद्यालयीन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी/स्थाई कर्मी कर्मचारियों के सेवाकाल में निधन उपरांत उनके आश्रितों को आउट-सोर्सेस के स्थान पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी / स्थाई कर्मी कर्मचारी के रूप में ही नियुक्ति दिया जाना। जिससे वे ससम्मान जीवन यापन कर सकें।
2. प्रथमतया 10 वर्ष की अवधि पूर्ण कर चुके समस्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को एवं तद्रुपरांत 01 सितंबर 2016 तक विश्वविद्यालय की सेवा में आये समस्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को विनियमित कर स्थाई कर्मी की श्रेणी प्रदान किया जाना।
3. विश्वविद्यालयीन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का उनकी योग्यातानुसार / कार्य कुशलता अनुसार श्रेणी परिर्वतन किया जाना।
4. विश्वविद्यालय में नियमित किये गये वे स्थाई कर्मी कर्मचारी जो प्रथम नियुक्ति तिथि से ही तृतीय श्रेणी कर्मचारी का कार्य संपादित करते आ रहे है उन्हें चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर नियमित किया गया उनके साथ अन्याय किया गया उनकी योग्यता का हनन किया गया एवं उन्हें चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियमित किया गया, इस बिन्दु पर पुनर्विचार करते हुए यह प्रकरण शासन के संज्ञान में लाकर इसका उचित निराकरण करना।
5. विश्वविद्यालय में कार्यरत् समस्त स्थाई-कर्मियों को (बरकतउल्ला वि.वि., जीवाजी विश्वविद्यालय की भांति) नियमित कर्मचारियों के समान अवकाश सुविधा प्रदान की जावें। यह मॉग विश्वविद्यालय स्तर पर गत दो वर्षों से लंबित है।
समिति गठित कर दी है, रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी
– डॉ मोहन सेन
आरजीपीवी के रजिस्ट्रार डॉ. मोहन सेन ने कहा कि आवेदन मिला था, मांगों को लेकर अध्ययन के लिए समिति गठित कर दी है। अनुशंसा के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। दो मांगें विश्वविद्यालय स्तर की हैं शेष शासन स्तर की हैं।