पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, ऐंद्र योग समेत कई शुभ संयोगों में उमड़ेगा आस्था का सैलाब
शारदेय नवरात्रि का आज से होगा शुभारंभ, अष्टमी-नवमीं की एक रहेगी तिथि
भोपाल।मां भवानी की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो जाएगा। इस बार मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आएगी। नवरात्रि का ऐंद्र, सर्वार्थ सिद्धि, शिववास समेत कई शुभ संयोगों में शुभारंभ होगा। इसी दिन शाम को घट पूजा के साथ शहर भर में झांकियां रंग बिरंगी रोशनी से झिलमिलाने लगेंगी। वहीं, शहर भर में आठ सौ से भी अधिक स्थानों पर सार्वजनिक रूप से विराजी जा रही झांकियों का निर्माण कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है।
पं. रामजीवन दुबे गुरुजी के मुताबिक साल में 4 नवरात्रि होते हैं। इनमें चैत्र और आश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि होती है। वहीं, माघ और आषाढ़ महीने में आने वाली नवरात्रि को गुप्त माना जाता है। आश्विन शुक्ल पक्ष एकम (प्रतिपदा) गुरुवार तीन अक्टूबर को ऐंद्र योग, जयद योग, सर्वार्थ सिद्धि, व शिववास में शारदेय नवरात्रि का शुभारंभ होगा। मातारानी डोली में सवार होकर आएगी। इस बार अष्टमी व नवमीं की तिथि एक रहेगी। 11 वर्षों बाद बने संयोग में मां महागौरी व मां सिद्धिदात्री की एक साथ पूजा होगी।
पर्व के दौरान मंदिरों में भीड़ उमड़ती नजर आएगी। आस्था का सैलाब जहां झांकियों को अपनी आंखों में बसाने के लिए सड़कों पर नजर आएगा वहीं मंदिरों में लगातार आठ दिन होने वाले अनुष्ठानों की शहर में गूंज रहेगी। भवानी चौक पर कफ्र्यू वाली माता, माता मंदिर, शाहजहांनाबाद में मां भवानी के मंदिर की विशेष विद्युत साज सज्जा की गई है। नवरात्रि पर गुरुओं और तांत्रिकों के दरबार भी सजते हैं। मां चामुण्डा दरबार में गुरुजी पं. रामजीवन दुबे, करुणा धाम आश्रम नेहरू नगर में शांडिल्य महाराज का दरबार सजेगा।
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इन स्वरूपों की होती है पूजा, तंत्र की तैयारियां
नवरात्रि में मां दुर्गा के मां कालिका, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी के स्वरूपों की पूजा होगी। नवरात्रि के दिन तंत्र साधना के लिए सर्वोत्तम समय होता है। इन्हीं रातों में श्मशान साधना और भैरवी साधना की जाती है। नवरात्रि में नवग्रह से संबंधित दोषों, विविध प्रकार के अशुभ योग, कालसर्प दोष, मंगलदोष, अस्त, वक्री, अशुभ स्थिति, साढ़ेसाती, ढैया, अशुभ दशाओं के दुष्प्रभावों को दूर करने की उपासना की जाती है।
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घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
चौघडिय़ा के अनुसार
चर: सुबह 10.30 से दोपहर 12 बजे तक
लाभ: दोपहर 12 से 1.30 बजे तक
अमृत: दोपहर 1.30 से 3 बजे तक
शुभ: शाम 4.30 से 6 बजे तक
अमृत: शाम 6 बजे से 7.30 बजे तक
चर: रात्रि 7.30 से 9 बजे तक
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स्थिर लग्न अनुसार शुभ मुहूर्त
वृश्चिक: सुबह 9.22 से 11.39 बजे तक
कुंभ: दोपहर 3.31 से 5.04 बजे तक
वृष: रात्रि 8.15 बजे से 10.14 बजे तक