खबरमध्य प्रदेश

टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा मीता की कहानी नाटक का मंचन

नाट्य विद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्रों की मनमोहक प्रस्तुति

भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के 2022-24 बैच के अंतिम वर्ष के छात्रों द्वारा “मीता की कहानी” नाटक का मनमोहक मंचन किया गया। यह कहानी विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित है। नाटक का निर्देशन अनिरुद्ध खुटवड ने किया है

नाटक के बारे में:

विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित यह नाटक मीता के मानवीय संबंधों के विवादास्पद आयामों को दर्शाता है। मीता कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की है जिसे एक समय बाद एहसास होता है कि वह पुरुष के प्रति आकर्षित न होकर, स्त्री के प्रति उसका आकर्षण है और रुढ़िवादी समाज, परंपरा, रीति रिवाज के विरुद्ध वह लड़ने का साहस करती है और बदले में उसे मिलता है तिरस्कार, उपेक्षा, दर्द। यह कहानी न सिर्फ मीता की है, यह कहानी बापू की भी है जो एक स्त्री-पुरुष के बीच सच्ची दोस्ती को निभाता है। यह कहानी है पांडे के एक तरफा प्यार की। नमा के द्विबारगी प्रेम की और दलवी जैसे व्यक्ति कि जो प्रेम को कुछ भी नहीं समझता। यह घटनाएं हम आज भी अपने आसपास इन चरित्रों के माध्यम से देख सकते हैं जिसे तेंदुलकर जी ने 80 के दशक में लिखकर जीवित कर दिया था।

निर्देशक के बारे में:

अनिरुद्ध खुटबाह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र हैं, इन्होंने हिंदी, मराठी और भारत भर के विभिन्न रंगमंच एवं फिल्म संस्थानों में बतौर अतिथि अध्यापक यथार्थ अभिनय कार्यशालाओं का संचालन किया है साथ ही इन संस्थानों में विविध भाषाओं में नाटकों का निर्देशन किया है जिनमें मुख्य रूप से हैं: फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (पुणे), नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (नई दिल्ली), राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (सिक्किम, बैंगलुरु, ड्रामा स्कूल (मुंबई), निनासम, (हेम्णोड), मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय (भोपाल), आर नारायणन नेशनल हेस्टीट्यूट (कोट्टायम), एम आई टी यूनिवर्सिटी (पुणे), फ्लेम यूनिवर्सिटी (पुणे) आदि।

अनिरुद्ध खुटवड के कुछ निर्देशकीय उपक्रमों में शामिल हैं: महापूर, मीता की कहानी, टैक्स फ्री, द पार्क, द लोअर डेप्थ्स, अधांतर, इल्हाम, द गुड़ डॉक्टर, जूलियट और उसका रोमियो, मिस्टर बेहराम, रक्तपुष्पा, तुलसी की माला, खेलिमली, छैन मीन टीन, काय डेजर वारा सुटलाय, लाइट्स आउट, कोण मानतो टक्का दिला, तू वेडा कुंभार, तलघर, पार्टी, डॉक्टर, विरासत तालाब की ओर खंडहर आदि है।

उनके कई नाटक जैसे महापुर, एक रिकामी बाजू, सैयां भये कोट तवाल, मिस्टर बेहराम और ‘विरासत को भारत रंग महोत्सव सहित विभित्र नाट्य समारोहों में खूब सराहा गया है।

अनिरुद्ध खुटवड विनोद दोशी थिएटर फेलोशिप अवॉर्ड (2012), प्रयोगकर्मी पुरुस्कार (2011) और प्रतिथयश मनोहर सिंह स्मृति पुरस्कार (2011) दिया गया है।

लेखक के बारे में:

विजय तेंदुलकर नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार, ललित निबंध लेखक, संपादक, अनुवादक, टॉक शो राइटर, महीन प्ले राइटर, स्तंभ लेखक आदि रहे है।

मराठी के आधुनिक नाटककारों में शीर्षस्थ विजय तेन्दुलकर अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिष्ठित एक महत्त्वपूर्ण नाटककार वे। 50 से अधिक नाटकों के स्वचिता तेन्दुलकर ने अपने कथ्य और सिल्प की नवीनता से निर्देशकों और दर्शकों, दोनों को बराबर आकर्षित किया। पूरे देश में उनके नाटकों के अनुवाद एवं मंचन हो चुके हैं। हिन्दी में उनके 30 से अधिक नाटक खेले जा चुके हैं।

विजय तेंदुलकर की प्रमुख नाट्य स्वनाएं हैं- ग्रामोता अदालत जारी है, घासीराम कोतवाल, सखाराम बाइंडर, जाति ही पुछो साधु की और गिद्ध आदि बहुचर्चित बहुमचित नाटकों के अलावा उनकी प्रमुख नाट्य-रचनाएँ हैं जेभी, ‘अमीर, कन्यादान’, ‘कमला, ‘बेबी, भीता की कहानी, साकर, पंछी ऐसे आते हैं, नोटिस, कुत्ते, श्रीमंत, विठ्ठला आदि।

विजय तेन्दुलकर के नाटकों में मानव जीवन की विषमताओं, स्वाभाविक व अस्वाभाविक यौन सम्बन्धी आतिगत भेदभाव और हिंसा का यथार्थ चित्रण मिलता है। उन्होंने भ्रष्टाचार पर, गरीबी पर, महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर जम कर कलम चलाई। उनके अधिकांश पात्र मध्यम एवं निम्र मध्यमवर्ग के होते हैं और उनके विभित्र रंग इन नाटकों में आते हैं।

विजय तेंदुलकर को उनके उत्कृष्ट कामों के लिए पद्म भूषण (1984), संगीत नाटक अकादमी फेलोसिप (1998), मंथन की सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य सरकार पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, सख्यती सम्मान, कालिदास सम्मान आदि से विभूषिति कया गया।

*पात्र परिचय:*

*मीता की कहानी*

मीता – साक्षी शुक्ला
गोविंदा – राजा चौधरी
बापू – अमित कुमार गुप्ता
सुलभा – किरण साहू
बापू का मन – अमन जैन (तक्षय) आदमी हैदर अली
पाण्डेय – ऋषभ कुमार चतुर्वेदी
पड़ोसी – मार्क फर्नान्डिस
नमा – पूर्वी रायकवार
गोविंद के पिता उदय भान यादव
दलवी – मनोज कुमार यादव
गोविंद की माता – रश्मि कुकरेती
सुलभा के पिता ऋषभ कुमार चतुर्वेदी

*मंच परे:*

सह निर्देशन – दाऊद हुसैन
मंच परिकल्पना – राम सिंह पटेल
वस्त्र परिकल्पना प्रिया भदौरिया
प्रकाश परिकल्पना संकेत पारखे
ध्वनी परिकल्पना दाऊद हुसैन
प्रस्तुति प्रबंधक – अविजित सोलंकी, डॉ. चैतन्य आठले विशेष सहयोग – मनोज नायर, विक्रांत भट्ट
पोस्टर परिकल्पना सरस कुमार
ब्रोशर – कमलेश ठाकुर, अमन जैन परिकल्पना एवं निर्देशन अनिरुद्ध खुटवड
आभार: भारत एक खोज (संगीत निर्देशक स्व. वनराज भाटिया)

कल प्रसिद्ध मराठी नाटककार और रंगमंच निर्देशक सतीश आलेकर द्वारा लिखित “महापूर* नाटक का मंचन किया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button