नई दिल्ली, 08 नवंबर। भारत में कैंसर का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है जिसमें ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायलोमा जैसे ब्लड कैंसर भी शामिल हैं, और राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस हमें याद दिलाता है कि दिल दहला देने वाली यह समस्या बेहद गंभीर है। भारत में हर साल 1 लाख से ज़्यादा लोगों में ब्लड कैंसर या थैलेसीमिया और एप्लास्टिक एनीमिया जैसी खून से संबंधित बीमारियों का पता चलता है। भले ही चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति की वजह से इलाज के नतीजे पहले से काफी बेहतर हुए हैं, परंतु जान बचाने वाली थेरेपी, खास तौर पर ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन जैसी थेरेपी की सहज उपलब्धता ज़्यादातर मरीजों के लिए आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
DKMS-BMST ब्लड कैंसर का सामना करने के लिए सच्ची लगन से काम करते हुए इस मुहिम में सबसे आगे है, और इस गंभीर समस्या के निदान के अपने संकल्प पर कायम है। DKMS-BMST लोगों के बीच ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन की अहमियत के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और मरीजों की सहायता के लिए अभिनव कार्यक्रमों को लागू करके, मौजूदा उपचार सुविधाओं की कमी को दूर करने तथा अनगिनत मरीजों के जीवन में नई आस जगाने के लिए अथक प्रयास कर रहा है।
इस अवसर पर DKMS-BMST फाउंडेशन इंडिया के सीईओ, पैट्रिक पॉल कहते हैं, “उपचार को सुलभ बनाने का हमारा कार्यक्रम इस बात की मिसाल है कि, हम इस बात के लिए पूरी तरह समर्पित है कि पैसों की कमी की वजह से किसी भी मरीज को जीवन-रक्षक उपचार से वंचित नहीं होना पड़े। इसके अलावा, हमारी स्टेम सेल रजिस्ट्री भी मरीजों को संभावित डोनर्स से जोड़ने में अहम भूमिका निभाती है, जिससे उन्हें एक नई ज़िंदगी पाने का मौका मिलता है।”
यह बात साबित हो चुकी है कि ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन कई तरह के ब्लड कैंसर के इलाज में प्रभावी है, जिसमें मरीज के खराब हो चुके ब्लड स्टेम सेल्स को मेल खाने वाले सेहतमंद डोनर के ब्लड स्टेम सेल्स के साथ बदल दिया जाता है। पैरीफेरल ब्लड स्टेम सेल (PBSC) का दान करना, सचमुच ऐसे मरीजों की ज़िंदगी बचाने का बेहद सरल और कारगर तरीका है।
डॉ. नितिन अग्रवाल, एमडी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, एचओडी, डोनर रिक्वेस्ट मैनेजमेंट, DKMS-BMST फाउंडेशन इंडिया कहते हैं, “PBSC का दान करने की प्रक्रिया बड़ी सरल और पूरी तरह सुरक्षित है, जिसमें सिर्फ 3-4 घंटे का समय लगता है। यह किसी ज़रूरतमंद मरीज की ज़िंदगी को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का बेमिसाल अवसर है। हम सभी को संभावित स्टेम सेल डोनर बनने के बारे में सोचने और ब्लड कैंसर के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”
राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के मौके पर, DKMS-BMST लोगों से इस दिशा में कदम बढ़ाने और इस नेक काम में अपना सहयोग देने की गुज़ारिश करता है। संभावित स्टेम सेल डोनर के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराके, आप किसी की जान बचा सकते हैं।
भारत में हर साल 1 लाख से ज़्यादा लोगों में ब्लड कैंसर या खून से संबंधित बीमारियों का पता चलता है। ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की सफलता के लिए, मरीज को ऐसे डोनर की जरूरत होती है जिनका HLA उनसे मेल खाता हो। बदकिस्मती से, भारत के सिर्फ 0.09% लोगों ने ही संभावित डोनर के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया है। भारतीय मूल के मरीजों और डोनर्स के HLA (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) की खास विशेषताएँ होती हैं, जो ग्लोबल डेटाबेस में बहुत कम दिखाई देती हैं, और इसकी वजह से ऐसी मरीजों के लिए सबसे सही डोनर मिलना और भी मुश्किल हो जाता है।
संभावित स्टेम सेल डोनर के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराने की इच्छा रखने वाले भारतीयों की उम्र 18 से 55 साल के बीच होनी चाहिए, तथा उनकी सेहत अच्छी होनी चाहिए। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए तैयार होने के बाद, आपको बस एक सहमति फॉर्म भरना होगा और स्वैब के ज़रिये अपने गालों के अंदरूनी हिस्से के टिश्यू सेल्स को नमूने के तौर पर जाँच के लिए देना होगा। फिर आपके टिश्यू का नमूना विश्लेषण के लिए लेबोरेटरी में भेजा जाता है और उसे बिना नाम के स्टेम सेल डोनर के रूप में इंटरनेशनल सर्च प्लेटफ़ॉर्म पर सूचीबद्ध किया जाता है, ताकि आप मैचिंग स्टेम सेल डोनर के तौर पर किसी मरीज की मदद कर सकें। अगर आप डोनर बनने के योग्य हैं, तो आप www.dkms-bmst.org/register पर अपना होम स्वैब किट ऑर्डर करके ब्लड स्टेम-सेल डोनर के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहला कदम उठाएँ।