अध्यात्ममध्य प्रदेश

शिव पर कांटों के समान चुभने वाली बातें अर्पित कर दें- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी

शिवलिंग को काला इसलिए दिखाया गया क्योंकि अज्ञानता रूपी रात्रि में परमात्मा अवतरित होकर अज्ञान अंधकार मिटाते हैं- ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ग्रीन पार्क कॉलोनी गुलाबगंज स्थित सेवा केंद्र में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि शिवरात्रि का महापर्व कई आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए हैं। यह पर्व सभी पर्वों में महान और श्रेष्ठ है, क्योंकि शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण का यादगार महापर्व है। महाशिवरात्रि पर्व पर हम शिवालयों में अक-धतूरा, भांग आदि अर्पित करते हैं। इसके पीछे आध्यात्मिक रहस्य यह है कि जीवन में जो कांटों के समान बुराइयां हैं, गलत आदतें हैं, गलत संस्कार हैं, कांटों के समान बोल, गलत सोच को आज के दिन शिव पर अर्पण कर मुक्त हो जाएं। हम दुनिया में देखते हैं कि दान की गई वस्तु वापस नहीं ली जाती है। इसी तरह परमात्मा पर आज के दिन अपने जीवन की कोई एक बुराई जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही है, सफलता में बाधक है उसे शिव को सौंपकर मुक्त हो जाएं। अपने जीवन की समस्याएं, बोझ उन्हें सौंप दें। फिर आपकी जिम्मेदारी परमात्मा की हो जाएगी। परमपिता शिव इस धरा पर अवतरित होकर हम सभी विश्व की मनुष्यात्माओं को सहज राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। परमात्मा आह्नान करते हैं मेरे बच्चों तुम मुझ पर अपनी बुराइयों अर्पण कर दो। अपने बुरे विचार, भावनाएं, गलत आदतें शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है। अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर जीवन में ज्ञान की ज्योत जगाएं। धर्म का आचरण ड्रेस पहनने से नहीं बन जाता है। उसे जीवन चरित्र में उतारना होगा। ‌ ‌ ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपनी उद्बोधन में कहा कि
परमपिता शिव और शंकर जी में महान अंतर हैं। शिव जी और शंकर जी में वही अंतर है जो एक पिता-पुत्र में होता है। इस सृष्टि के विनाश कराने के निमित्त परमात्मा ने ही शंकर जी को रचा। यहीं नहीं ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के रचनाकार, सर्वशक्तिमान, सर्वोच्च सत्ता, परमेश्वर शिव ही हैं। वह ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की स्थापना, शंकर द्वारा विनाश और विष्णु द्वारा पालना कराते हैं। ‘शिवलिंग’ परमात्मा शिव की प्रतिमा है। परमात्मा निराकार ज्योति स्वरूप है। शिव का अर्थ है ‘कल्याणकारी’ और लिंग का अर्थ है ‘चिंह्न’ अर्थात् कल्याणकारी परमात्मा को साकार में पूजने के लिए ‘शिवलिंग’ का निर्माण किया गया। शिवलिंग को काला इसलिए दिखाया गया क्योंकि अज्ञानता रूपी रात्रि में परमात्मा अवतरित होकर अज्ञान-अंधकार मिटाते हैं। परमपिता परमात्मा शिव 33 करोड़ देवी-देवताओं के भी महादेव एवं समस्त मनुष्यात्माओं के परमपिता हैं। सारी सृष्टि में परमात्मा को छोड़कर सभी देवी-देवताओं का जन्म होता है जबकि परमात्मा शिव का दिव्य अवतरण होता है। वे अजन्मा, अभोक्ता, अकर्ता और ब्रह्मलोक के निवासी हैं। शंकर का आकारी शरीर है। शंकर, परमात्मा शिव की रचना हैं। यही वजह है कि शंकर हमेशा शिवलिंग के सामने तपस्या करते हुए दिखाए जाते हैं। ध्यानमग्न शंकर की भाव-भंगिमाएं एक तपस्वी के अलंकारी रूप हैं। शंकर और शिव को एक समझ लेने के कारण हम परमात्म प्राप्तियों से वंचित रहे। अब पुन: अपना भाग्य बनाने का मौका है। ‌‌ राकेश कटारे जी ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि”आज के समय में संसार शांति और सुख की तलाश में भटक रहा है। लोग सोचते हैं कि महंगे सामान खरीदने से, दुनिया घूमने से, ऊँचे पद और प्रतिष्ठा पाने से सुख मिलेगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि इन सबसे भी मनुष्य की आत्मा खाली और अशांत ही रहती है।” उन्होंने कहा, “सच्ची शांति ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग से मिलती है, जिसे ब्रह्माकुमारीज सिखा रही हैं। ब्रह्माकुमारी बहनें सच्चे संत हैं, जो समाज को सही दिशा दिखा रही हैं। ‌ “लायंस क्लब विदिशा” अध्यक्ष एवं “लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट सह मल्टीमीडिया प्रभारी” लायन अरुण कुमार सोनी जी ने अपनी भावनाएं रखते हुए कहा की ब्रह्माकुमारी दुनिया को सही दिशा दिखाने का कार्य कर रही है। बहनों ने परमात्मा शिव के सत्य ज्ञान को प्रैक्टिकल जीवन में धारण किया है। यह ब्रह्माकुमारी बहाने ही है जिन्होंने सारे संसार का कल्याण करने हेतु अपने जीवन को सिर्फ परमात्मा के बृहद कार्य में समर्पित किया है। ‌ पूर्व जनपद अध्यक्ष ग्यारसपुर छत्रपाल शर्माजी ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि हमसे जितना संभव हो सके ब्रह्माकुमारी सेन्टर में समय देना चाहिए। जिससे हम परिवर्तनशील तो होंगे ही और अनेकों को भी परिवर्तन करने के निमित बनेंगे। हनी भाई बहनों ने कार्यक्रम में शामिल होकर कार्यक्रम का लाभ लिया।

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