विश्वविद्यालय के समक्ष कर्मचारियों ने आक्रोशित हो की नारेबाजी
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कर्मचारी श्रमिक संघ ने किया प्रदर्शन


राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कर्मचारी श्रमिक संघ ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष जमकर नारेबाजी कर कर्मचारियों के आक्रोश से विश्वविद्यालय प्रशासन को चेताया। कर्मचारी श्रमिक संघ के अध्यक्ष हेमराज बागवान ने संबोधित करते हुए बताया की कर्मचारी श्रमिक संघ की 6 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन विश्वविद्यालय को सोपें एक माह से अधिक हो गया है किन्तु विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है इसलिए संघ को आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए विवश किया जा रहा है। वहीं विश्वविद्यालय में हुए भ्रष्टाचार के मामले को भी दबाने का प्रयास किया जा रहा है। संघ के महामंत्री श्री सुधीर कुमार शर्मा ने श्री कोतुक सोनवाने के रीस्तेदार को मृत्यु के एक वर्ष से अधिक समय पश्चात स्थाई कर्मी के आदेश पर सवाल उठाए और कहा की विश्वविद्यालय के प्रशासनिक पद पर बैठे अधिकारी अपने रिश्तेदारों को अनुचित रूप से लाभ पहुंचाने के लिए नियम विरुद्ध कार्य कर रहे हैं और विश्वविद्यालय में हुई अनियमितता की जांच को लेकर सवाल खड़े किए। कर्मचारी श्रमिक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री सूरज प्रकाश गांधी ने संबोधित करते हुए कहा की पंकज जैन की नियुक्ति पुरी तरह से नियम विरुद्ध है जिसपर शासन द्वारा श्री एस.के.जैन को जांच अधिकारी नियुक्त किया था किन्तु उस पर कार्यवाही नहीं की गई किन्तु प्रभात पटेल को नये सिरे से जांच अधिकारी बनाया गया जो पंकज जैन को बचाने में लगे हुए हैं। कर्मचारी श्रमिक संघ ने श्री धर्मेश शुक्ला एवं श्री कोतुक सोनवाने द्वारा सातवें वेतन मान में नियम विरुद्ध वेतन निर्धारण कराकर लाखों रुपए अधिक ले लिया जिसकी वसुली आज तक विश्वविद्यालय द्वारा नहीं की गई जबकि छोटे कर्मचारियों से अधिक वेतन की वसूली विश्वविद्यालय प्रशासन कर चुका है।भ्रष्टाचार में लिप्त पंकज जैन, धर्मेश शुक्ला,कोतुक सोनवाने पर तुरंत कार्यवाही करने एवं कर्मचारी श्रमिक संघ की 6 सूत्रीय मांगों का निराकरण 15 दिवस में नहीं करने पर कर्मचारी श्रमिक संघ धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगा।संघ ने सवाल उठाए की विश्वविद्यालय मे भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे अधिकारी जब-तक कुर्सी पर बैठे रहेंगे जांच को प्रभावित करते रहेंगे इसलिए ऐसे अधिकारियों को विश्वविद्यालय से तुरंत हटाया जाना चाहिए।



