मध्य प्रदेश
भोपाल से दिल्ली तक गूंजा गाइडलाइन विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक निर्देश
अब अटकलबाज़ी नहीं, डेटा से तय होंगे गाइडलाइन रेट: सुप्रीम कोर्ट का आदेश,राज्य सरकारें लें विशेषज्ञों की मदद, पारदर्शिता से तय करें भूमि दरें: सुप्रीम कोर्ट


क्रेडाई ने जो बातें वर्षों से कहीं — आज वही बातें देश की सर्वोच्च अदालत ने पूरी दृढ़ता से दोहराई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा है कि सर्किल रेट (गाइडलाइन दरें) वैज्ञानिक ढंग से तय होनी चाहिए, कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई न हों। अदालत ने यह भी कहा कि विशेषज्ञों की सहायता से ही दर निर्धारण किया जाए और यह प्रक्रिया पारदर्शी, व्यावसायिक और वास्तविक बाज़ार मूल्यों के अनुरूप होनी चाहिए।
इस ऐतिहासिक निर्देश का स्वागत करते हुए क्रेडाई भोपाल अध्यक्ष मनोज सिंह ‘मीक’ ने कहा कि अदालत की यह टिप्पणी हमारी वर्षों की न्यायोचित मांग की वैधानिक पुष्टि है। यह टिप्पणी मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ गाइडलाइन दरें पिछले 15 सालों से हर वर्ष अनुमान और उपबंधों के आधार पर बढ़ाई जाती रही हैं, जबकि ज़मीनी बाज़ार इससे असहमत होता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सरकार को दरें अव्यवहारिक लगती हैं, तो उन्हें न्यायालय में नहीं, नीति में सुधार कर ठीक किया जाना चाहिए।क्रेडाई वर्षों से यही कहती आई है — गाइडलाइन नीति में पारदर्शिता, विशेषज्ञता और डेटा आधारित विवेक जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी केवल कानून नहीं, बल्कि हमारी न्यायपूर्ण मांगों की वैधानिक पुष्टि भी है।”
क्रेडाई की प्रमुख मांगें अब सुप्रीम कोर्ट से समर्थित हैं:
•पारदर्शी व डेटा आधारित गाइडलाइन प्रक्रिया
•विशेषज्ञ समिति द्वारा समीक्षा
•बाजार मूल्य को सही से परिभाषित करने वाली दरें
•आम नागरिक, खरीदार और निवेशकों के हितों की रक्षा
मनोज सिंह ‘मीक’ का आधिकारिक वक्तव्य:
सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2025 के आदेश के आलोक में
“अब यह सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि संवैधानिक व्यवस्था की पुष्टि है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च 2025 को ‘MP Road Development Corporation बनाम Vincent Daniel’ प्रकरण में स्पष्ट कहा है कि सर्किल रेट्स को वैज्ञानिक, विशेषज्ञ-आधारित और बाजार मूल्य को प्रतिबिंबित करने वाली पद्धति से तय किया जाना चाहिए। हम वर्षों से कह रहे हैं कि दरें अनुमान नहीं, डेटा आधारित होनी चाहिए।