महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक जयंती पर बोधगया धम्म यात्रा का ऐतिहासिक समापन
धम्म उपासक-उपासिकाओं का भव्य स्वागत एवं अभिनंदन

भोपाल, आज अप्रैल 2025 (रविवार): महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक की जयंती के उपलक्ष्य में बुद्धभूमि महाविहार मोनेस्ट्री, चुनाभट्टी, कोलार रोड, भोपाल में एक भव्य और गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भगवान बुद्ध की पावन ज्ञानभूमि बोधगया में चल रहे महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन में सहभागिता करने वाले धम्म उपासक-उपासिकाओं का स्वागत एवं अभिनंदन किया गया।
29 मार्च से 4 अप्रैल 2025 तक धम्म प्रचार-प्रसार एवं बौद्ध समाज के उत्थान के पवित्र उद्देश्य से एक समर्पित धम्म यात्रा बोधगया के लिए प्रस्थान हुई थी। यह धम्म यात्रा 05 अप्रैल को भोपाल में सुखपूर्वक संपन्न हुई, जिसमें भंते शाक्यपुत्र सागर थेरो एवं श्रद्धेय भिक्षु संघ के मार्गदर्शन में 30 उपासक-उपासिकाओं ने भाग लिया।
सम्राट अशोक की धम्म नीति—करुणा, अहिंसा और सेवा का संदेश
इस अवसर पर भंते शाक्यपुत्र सागर थेरो ने कहा सम्राट अशोक केवल एक शासक नहीं, बल्कि धम्म के महान प्रचारक थे। उनकी धम्म नीति में सहिष्णुता, अहिंसा, सत्य, दया और सेवा का संदेश निहित था। उन्होंने बौद्ध धम्म को केवल एक धर्म के रूप में नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति के रूप में अपनाया और इसे व्यापक स्तर पर प्रचारित किया। उनकी जयंती हमें स्मरण कराती है कि हमें समाज में शांति, अहिंसा और सद्भावना फैलाने का संकल्प लेना चाहिए।”
धम्म यात्रियों का भव्य स्वागत-
इस पावन अवसर पर, महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन में सहभागी होकर धर्मचक्र प्रवर्तन करने वाले धम्म उपासक-उपासिकाओं का भव्य स्वागत किया गया। इस गरिमामय समारोह में कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें प्रमुख रूप से श्री बी. डी. अहिरवार ,श्रीमती शामा अहिरवार,श्रीमती सत्यशीला दुधमल,श्रीमती माया हिवराडे,श्रीमती शोभा लोखंडे,श्रीमती निर्मला सोनवाने,श्रीमती छाया खरात,श्रीमती वंदना मुलताकर,श्रीमती वैशाली मनहर,श्रीमती सुनीता गजभिये,श्री संजय गजभिये,श्री चन्द्रप्रकाश गोलाईत,श्री रामेश्वर गजभिये,श्री हरेन्द्र भारतीय,श्री शामलाल रामटेके,श्री रमेश मोरे,श्री कशिश सुरवडे,कुमारी श्रद्धा हिवराडे,श्री प्रदीप रामटेके,श्री राहुल जाधव,श्री आनंद बागधरे,श्री कमल परमार,श्री सुखदेव वाकोड़,श्रीमती रेखा मेश्राम और अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। यह आयोजन केवल एक स्वागत समारोह नहीं था, बल्कि यह बौद्ध धम्म और सामाजिक न्याय के प्रति हमारी अटूट निष्ठा का प्रतीक था। इस सफल धम्म यात्रा के माध्यम से बोधगया में चल रहे महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को समर्थन प्रदान किया गया और बौद्ध धम्म के प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया गया।