संपादकीय

क्यों महुआ तोड़े नहीं जाते पेड़ से

माँ तुम सारी रात
क्यों महुए के गिरने का इंतजार करती हो?
क्यों नहीं पेड़ से ही सारा महुआ तोड़ लेती हो?

माँ कहती है वे रातभर गर्भ में रहते हैं
जन्म का जब हो जाता है समय पूरा
खुद-ब-खुद धरती पर आ गिरते हैं

भोर, ओस में भींगते हैं धरती पर
हम घर ले आते हैं उन्हें उठाकर

पेड़ जब गुजर रहा हो
सारी रात प्रसव पीड़ा से
बताओ कैसे डाल हिला दे जोर से?
बोलो कैसे तोड़ लें हम
जबरन महुआ किसी पेड़ से?

हम सिर्फ इंतजार करते हैं
इसलिए कि उनसे प्यार करते हैं।

— -जसिंता केरकेट्टा

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