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नर्सिंग छात्राओं का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा , छात्राओं ने दायर की “विशेष अनुमति याचिका” 

प्री-नर्सिंग सिलेक्शन टेस्ट-2022 का रिजल्ट जारी होने के बावजूद प्रवेश नहीं, सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार

109 नर्सिंग छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध मांगा न्याय

भोपाल :- मध्यप्रदेश की 109 नर्सिंग छात्राओं ने अपने प्रवेश और भविष्य को लेकर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) और कांग्रेस पार्टी के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध दायर की गई है जोकि मध्यप्रदेश की 60 हजार छात्राओं के हक की लड़ाई हैं सुप्रीम कोर्ट में यह कानूनी लड़ाई वरिष्ठ अधिवक्ता वरुण चोपड़ा लड़ेंगे । परमार ने बताया कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (व्यापम / ESB) द्वारा प्री-नर्सिंग सिलेक्शन टेस्ट (PNST)-2022 की परीक्षा जून 2023 में आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के परिणाम पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई थी, लेकिन 27 मार्च 2025 को हाईकोर्ट के आदेश के बाद परीक्षा परिणाम जारी कर दिया गया। जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने कहा कि आज दिनांक तक प्रवेश के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई, जिसके चलते शासकीय नर्सिंग कॉलेजों में सत्र 2022-23 की सभी सीटें खाली पड़ी हैं। इन सीटों पर प्रवेश के लिए छात्राएं हाईकोर्ट से लेकर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन न्याय न मिलने के कारण अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनकी इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी और एनएसयूआई पूरी मजबूती से साथ खड़ी हैं। छात्रा रवीना सूर्यवंशी ने बताया कि मैंने और प्रदेश की लगभग 60 हजार से ज्यादा छात्राओं ने PNST-2022 (Pre Nursing Selection Test) की परीक्षा दी थी। इस परीक्षा के परिणाम पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, जिसके कारण लगभग दो वर्ष तक रिजल्ट जारी नहीं किया गया बाद में हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि परीक्षा का परिणाम जारी किया जाए। हालांकि यह रिजल्ट छात्राओं की संतुष्टि के लिए औपचारिक रूप से जारी किया गया है, लेकिन इससे हमें न्याय नहीं मिला हाईकोर्ट के इस आदेश के विरुद्ध हम 109 छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (SLP No. 25984/2025) दाखिल की है यह सुप्रीम कोर्ट में याचिका कांग्रेस पार्टी और एनएसयूआई की मदद से दायर की गई है।इस याचिका में मध्यप्रदेश शासन, संचालक चिकित्सा शिक्षा, मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, इंडियन नर्सिंग काउंसिल, मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ESB) सहित प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन को पक्षकार बनाया गया है।

रवि परमार ने कहा कि —

> “छात्राएं लंबे समय से अपने परीक्षा परिणाम उसके बाद प्रवेश के लिए संघर्ष कर रही हैं। सरकार और जिम्मेदार विभागों की लापरवाही के कारण इन छात्राओं का भविष्य अधर में लटका है। अब छात्राओं ने अंतिम उम्मीद के रूप में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हमें पूरा विश्वास है कि सत्य और न्याय की जीत होगी और छात्राओं को उनका हक मिलेगा।”

 

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