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श्रमिक विरोधी, पूंजीपतियों व कॉर्पोरेट परस्त विधेयकों का होगा सड़कों पर विरोध -सीटू

 

श्रमिकों के अधिकारों को मालिकों के पैरों तले कुचलने की कोशिश स्वीकार नहीं

भोपाल/ 01 अगस्त । मध्य प्रदेश विधानसभा में 31 जुलाई को श्रमिक विरोधी और कॉर्पोरेट परस्त विधेयकों को पारित किया गया है। केन्द्रीय श्रमिक संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) ने इस बारे में मध्य प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि सभी श्रम संगठनों को साथ में लेकर इन विधेयकों का पुरजोर विरोध किया जाएगा। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी, प्रदेश महासचिव प्रमोद प्रधान ने आज जारी संयुक्त बयान में बताया कि मध्य प्रदेश की मजदूर, किसान, कर्मचारी विरोधी सरकार द्वारा मानसून सत्र में विधानसभा में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी व कॉर्पोरेट परस्त संशोधन पारित करना साफ़ तौर पर पिछले दरवाजे से काली श्रम संहिताओं को लागू करने की मुहीम है। सीटू नेताओं ने कहा कि गत 03 जून को पचमढ़ी में संपन्न प्रदेश कैबिनेट की बैठक ने जब इन संशोधनों को स्वीकृत किया था, तभी सीटू तथा प्रदेश की अन्य यूनियनों ने इसका तीव्र विरोध किया था। प्रदेश की समस्त प्रमुख केन्द्रीय श्रमिक संगठनों, जिनमें सीटू के अलावा इंटक, एटक, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, सेवा, टीयूसीसी, यूटीयूसी तथा बैंक, बीमा, केन्द्रीय, राज्य, बीएसएनएल, रक्षा, कोयला, भेल आदि के महासंघ शामिल है, ने प्रदेश के मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री, श्रम सचिव व श्रमायुक्त को पत्र लिखकर मांग की थी कि तत्काल इन संशोधनों को निरस्त कर इस विषय में श्रमिकों का पक्ष जानने के लिए श्रम संगठनों से चर्चा की जाए। पत्र में कहा गया था कि यह सभी परिवर्तन केंद्र सरकार द्वारा 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार श्रम संहिताए लाकर करना चाहती है, जिसका देशभर के श्रमिक तीखा विरोध कर रहे है। म.प्र. सरकार द्वारा लाये गये यह प्रावधान पिछले दरवाजे से उन्हे लागू करने की कोशिश है। सीटू नेताओं ने इस पर तीव्र रोष व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री समेत प्रदेश सरकार के मंत्री व श्रम विभाग के उच्चाधिकारियों को सूचित करने के बावजूद श्रम संगठनों से कोई चर्चा नहीं की गयी और अब विधानसभा में विधेयक पारित कर प्रदेश के श्रमिकों के अधिकारों को मालिकों के पैरों तले कुचलने का रास्ता साफ़ किया गया है। सीटू नेताओं ने कहा कि इन्ही काली श्रम संहिताओं के जरिये श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी व कॉर्पोरेट परस्त बदलाव सहित मुद्दों पर गत 09 जुलाई को देशभर के 25 करोड़ श्रमिकों ने हड़ताल की, जिनमें प्रदेश के लाखों श्रमिक/कर्मचारी भी शामिल थे। इसके बावजूद प्रदेश सरकार का यह फैसला श्रमिकों के साथ धोखाधड़ी है। सीटू ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदेश सरकार ने इन संशोधनों को वापस न लिया तो प्रदेश के सभी ट्रेड यूनियनों को साथ लेकर व्यापकतम संघर्ष किया जाएगा जिसके लिए प्रदेश की भाजपा सरकार जिम्मेदार होगी।

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