झटका मांस के व्यवसाय को प्राथमिकता दी जाए- सुनील अहिरवार
“मल्हार प्रमाण-पत्र” का भव्य शुभारंभ, झटका पद्धति से मांस विक्रय को मिली प्रमाणिकता

“मल्हार प्रमाण-पत्र” का भव्य शुभारंभ, झटका पद्धति से मांस विक्रय को मिली प्रमाणिकता
भोपाल, 4 अगस्त । डॉ. अंबेडकर जन कल्याण समिति द्वारा राजधानी स्थित कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र, भोपाल में सोमवार को “मल्हार प्रमाण-पत्र” का शुभारंभ किया गया। डॉ. अंबेडकर जन कल्याण समिति के अध्यक्ष सुनील अहिरवार ने कहा कि दलित और खटीक समाज के लोगों को उचित हक मिलना चाहिए। अहिरवार ने कहा कि देश के फाइव स्टार, थ्री स्टार होटलों और ढाबों में झटका मांस का उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास और मांग है कि झटका मांस के व्यवसाय में वृद्धि की जाए ताकि समाज के अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके। कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो, मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, विधायक विष्णु खत्री, हरि सिंह सप्रे एवं राजेश सोनकर विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम में महाराष्ट्र सरकार के बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने वर्चुअल माध्यम से सहभागिता की। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष सुनील अहिरवार ने की। इस पहल के अंतर्गत झटका पद्धति से मांस विक्रय करने वाले अनुसूचित जाति के खटीक समुदाय के विक्रेताओं को “मल्हार प्रमाण-पत्र” प्रदान किया गया। यह प्रमाण-पत्र न केवल उनकी सेवा की प्रमाणिकता को दर्शाता है, बल्कि हिंदू धार्मिक परंपराओं के अनुरूप बलिदान किए गए पशुओं के मांस की शुद्धता, स्वच्छता एवं ताजगी को भी सुनिश्चित करता है। मल्हार” एक प्रमाणित मंच है, जो हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों के अनुरूप झटका पद्धति से प्राप्त मांस की गुणवत्ता की पुष्टि करता है। यह मांस न केवल लार-मुक्त होता है, बल्कि इसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती, जिससे उपभोक्ताओं को पूर्णतः स्वच्छ, ताजा एवं धार्मिक मानकों के अनुरूप उत्पाद प्राप्त होता है। यह सेवा विशेष रूप से अनुसूचित जाति के हिंदू खटीक समुदाय के प्रमाणित विक्रेताओं के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। “मल्हार प्रमाण-पत्र” के माध्यम से इन विक्रेताओं को होटल, रेस्टोरेंट एवं अन्य उपभोक्ताओं तक प्रमाणिक मांस पहुंचाने का अवसर प्राप्त होगा। इस महत्वपूर्ण सामाजिक एवं धार्मिक पहल का आयोजन डॉ. अंबेडकर जनकल्याण समिति एवं नमो फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।