जनजातीय विभाग में शिक्षकों को 3 माह से नहीं मिला वेतन
वेतन के लिए भटकते गुरुजन, उम्मीद थी रक्षा बंधन तक मिल जायेगा लेकिन नहीं मिला
जनजातीय कार्य विभाग की लापरवाही, शिक्षक भूखों मरने की कगार पर
“क्या शिक्षक की किस्मत सिर्फ बच्चों का भविष्य संवारने तक है, या फिर अपने हक़ के लिए दर-दर भटकने तक?” मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य विभाग में व्याप्त लापरवाही ने इस सवाल को आज कड़वा और सच्चा बना दिया है।वर्ष 2018 और 2022 में “विशिष्ट विद्यालय” परीक्षा से चयनित विभागीय शिक्षकों को, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में केंद्रीय शिक्षकों की नियुक्ति के बाद, नियमानुसार राज्य के अन्य विद्यालयों में भेजा जाना था। लेकिन केंद्रीय शिक्षकों के कार्यभार संभालने के बाद भी विभाग ने एक वर्ष तक कोई प्रतिस्थापन नहीं किया। इस वर्ष स्थानांतरण नीति के तहत हुए तबादलों में भी सैकड़ों शिक्षक अब तक अपनी नई नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सबसे शर्मनाक हालात उन शिक्षकों के हैं, जिन्हें PFMS के माध्यम से वेतन मिलता था—कई जगह पाँच माह से वेतन नहीं मिला है, और जहाँ किसी तरह भुगतान हुआ भी, वहाँ अब दो/तीन माह से वेतन लंबित है। जो शिक्षक निष्ठा से बच्चों को पढ़ा रहे हैं, वे आज खुद अपने परिवार को दो वक्त का खाना खिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर एक बदनुमा दाग है।