ब्रह्मचर्य का अर्थ आत्मा में रम जाना- मनोज शास्त्री
वासुपूज्य भगवान के मोक्ष कल्याण पर श्रावकों द्वारा निर्वाण लाडू समर्पित किए

आत्म शुद्धि के महापर्व पर्यूषण पर्व का समापन पर निकली शोभा यात्रा
भोपाल। स्टेशन बजरिया महावीर जिनालय में शनिवार को आत्म शुद्धि के महापर्व दस लक्षण पर्व दसवें दिन उत्तम ब्रह्मचर्य पर्व के साथ हुआ समापन पर विधान हवन, पूजा,अनुष्ठान हुए अनंत चौदस पर ब्रह्मचर्य वासुपूज्य भगवान के मोक्ष कल्याण पर पूजा निर्वाण कांड पाठ पढ़कर लाडू समर्पित किये। काम ,क्रोध, मान से मोह नष्ट हो गया हो उनका ब्रह्मचारी व्रत ही सार्थक है यह प्रवचन मांगलिक भवन में मनोज भैया शास्त्री द्वारा ब्रह्मचर्य का अर्थ आत्मा से उसमें ही लीन हो जाना अर्थात रम जाना ही ब्रह्मचारी का पालन करना है जब आत्मा का स्वभाव अपने आप में ही रम जाता है इस रमणता से आनंद की अनुभूति होती है यह अलौकिक है इसके समक्ष तीन लोक की सपंदा वैभव आदि एवं राज्य का मूल्य ना के बराबर है ऐसी आत्मा तल्लीनता है जीव श्रेणी आरोहण में प्राप्त करता है अध्यक्ष राजीव पंचरत्न प्रवक्ता नरेंद्र जैन द्वारा बताया गया दोपहर में श्री जी को पालकी में विराजमान कर शोभा यात्रा 80 फीट होते हुए नाचते, गीत,गाते नृत्य करते हुए शोभा यात्रा मांगलिक भवन पहुंची वहां पर श्री जी का अभिषेक शांति धारा के बाद धार्मिक अनुष्ठान के बाद समापन हुआ महिला मंडल अध्यक्ष बबीता पंचरत्न द्बारा महिला मंडल द्वारा108 दीपक से भव्य आरती एवं डांडिया नृत्य धार्मिक नाटिका संस्कृतिक कार्यक्रम हुए।इसमें स्टेशन बजरिया समस्त समाज शामिल होकर धर्म लाभ लिया हैं।