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कोपेनहेगन, डेनमार्क में आयोजित एफ आई पी वर्ल्ड कांग्रेस में डॉ. रीनू यादव ने दिया व्याख्यान, शोध पत्र किया पेश 

हाल ही में कोपेनहेगन, डेनमार्क में आयोजित FIP वर्ल्ड कांग्रेस 2025 में डॉ. रीनू यादव को मुख्य वक्ता और शोध पत्र प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया था। इस विश्व शिखर सम्मेलन में लगभग 100 देशों के 3450 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। डॉ. रीनू के शोध की विश्व मंच पर सराहना की गई। डॉ. रीनू यादव लगभग 19 वर्षों से हर्बल अनुसंधान के क्षेत्र में कार्यरत हैं। इस दौरान उन्होंने 12 पेटेंट, 10 पुस्तकें, 100 से अधिक शोध पत्र और कई शोध परियोजनाओं पर काम किया है। इससे पहले भी नीदरलैंड्स की संस्था इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल फेडरेशन ने उन्हें विज्ञान और शिक्षा में महिलाओं के साथ सम्मानित किया था।

इस पूरी यात्रा के लिए डॉ. रीनू यादव को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), नई दिल्ली और मध्य प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा अनुदान प्रदान किया गया था। डॉ. रीनू यादव हर्बल अनुसंधान में 19 वर्षों का अनुभव रखती हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में 12 पेटेंट और 10 पुस्तकें लिखी हैं। उनके नाम 100 से अधिक शोध पत्र हैं।

उन्हें अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन द्वारा सम्मानित किया जा सकता है। डॉ. रीनू यादव को ICMR और मध्य प्रदेश काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से अनुदान प्राप्त हुआ है। डॉ. रीनू यादव कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में पदस्थ हैं। उन्होंने स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए आयोजित मैराथन में भी भाग लिया है।

डॉ. रीनू का कहना है कि विश्व के सबसे बड़े मंच पर सम्मानित होना उनके लिए गर्व का विषय है। डॉ. रीनू यादव की उपलब्धियों और योगदान ने उन्हें एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व बनाया है। उनकी सक्रिय भागीदारी और समर्पण ने उन्हें हर्बल अनुसंधान और स्वास्थ्य क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान दिलाया है।

डॉ. रीनू की प्रेरणादायक यात्रा अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं। डॉ. रीनू यादव का यह सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह उनके द्वारा किए गए कठिन परिश्रम और समर्पण का भी प्रतीक है। उनकी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कोपेनहेगन विश्वविद्यालय, डेनमार्क, लुंड विश्वविद्यालय और गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय, स्वीडन का भी भ्रमण किया। ये विश्वविद्यालय अपने उच्च शैक्षिक मानकों और अनुसंधान के लिए जाने जाते हैं। डॉ. यादव वर्तमान में भोपाल में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं।

 

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