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नेपाल की जेलों में भी बगावत: 13000 कैदी हो गए फरार ! झड़प में 5 किशोर बंदियों की मौत

नेपाल इस समय भीषण राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों और अराजकता के बीच देश की जेलों में भारी हिंसा भड़क उठी। पश्चिमी नेपाल की एक जेल में सुरक्षाकर्मियों और कैदियों के बीच झड़प में कम से कम 5 किशोर बंदियों की मौत हो गई, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं। इसी दौरान देशभर की विभिन्न जेलों से करीब 13, 000 कैदी फरार हो गए।
कर्फ्यू और आपात हालात
नेपाल की सेना ने हालात बिगड़ते देख पूरे देश में कर्फ्यू और प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर दिए हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने संसद, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी इमारतों और नेताओं के घरों तक को आग के हवाले कर दिया था।

PM ओली का इस्तीफा और सोशल मीडिया विवाद
यह संकट तब शुरू हुआ जब युवाओं ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर सरकार की रोक के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। पुलिस कार्रवाई में 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई, जिसके बाद गुस्से में भीड़ ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर धावा बोला। इसके दबाव में प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। हालाँकि सरकार ने सोमवार रात सोशल मीडिया से रोक हटा दी थी, लेकिन हालात सामान्य नहीं हो सके।
जेलों में विद्रोह और कैदियों का पलायन
‘द राइजिंग नेपाल’ की रिपोर्ट के अनुसार, बांके जिले के नौबस्ता क्षेत्रीय जेल स्थित बाल सुधार गृह में कैदियों ने सुरक्षाकर्मियों से हथियार छीनने की कोशिश की। इसी दौरान मुठभेड़ में 5 किशोर बंदी मारे गए और 4 घायल हुए। वहीं, ‘माय रिपब्लिका’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की अलग-अलग जेलों से 7,000 से अधिक कैदी फरार हो गए। जिन जेलों से सबसे ज्यादा कैदी भागे उनमें दिल्लीबाजार (1,100), नक्खू (1,200), झुम्पका-सुनसरी (1,575), कास्की (773), चितवन (700), कैलाली (612), जलेश्वर (576), कंचनपुर (450) जैसी बड़ी जेलें शामिल हैं।

महिला कैदी भी फरार
बागमती प्रांत के सिंधुलीगढ़ी जिला जेल से 471 कैदी, जिनमें 43 महिलाएँ भी थीं, आगजनी और तोड़फोड़ के बाद फरार हो गए। कैदियों ने पहले जेल के अंदर आग लगाई और फिर मुख्य द्वार तोड़कर भाग निकले। नेपाल में यह संकट ऐसे समय आया है जब देश पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जेलों से इतने बड़े पैमाने पर कैदियों का भाग जाना देश की कानून-व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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