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उर्दू के सभी रंगों को सहेजा है भोपाल की शायरी ने– संतोष चौबे के री

भोपाल उर्दू अदब का एक मरकज़– जानकी प्रसाद शर्मा


भोपाल के दस शायरों की ये दस किताबें भोपाल की शायरी का पुनर्जागरण है –लीलाधर मंडलोई

*भोपाल के 10 शायरों की किताबें हुई लोकार्पित*

भोपाल। उर्दू और हिंदी दोनों बहनें हैं। दोनों का विकास साथ साथ हुआ है। उर्दू के सारे रंगों को सहेजने का काम हमने भोपाल के दस शायरों की इन दस किताबों में किया है। प्रेम, मोहब्बत, तरक्की पसंद, व्यंग्य सभी रंगों को उर्दू ग़ज़लों के जरिये किताबों के रूप दस्तावेजीकरण किया गया है। हमारा मानना है कि हिंदी उर्दू सहित सभी भारतीय भाषाओं का साहित्य अन्य भाषाओं के समानांतर रखा जा सकता है। देश की सभी भाषाओं में लिखे गए साहित्य का सम्मान करना और उसको सहेजना हमारी ज़िम्मेदारी है। उर्दू भी एक ऐसी ही भाषा है जिसमें बहुत महत्वपूर्ण साहित्य की रचना की गई है। खास तौर से उर्दू शायरी एक ऐसी विधा है जिसके माध्यम से युवा पीढ़ी को इस भाषा के साथ जोड़ा जा सकता है। उक्त उद्गार कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर भोपाल में “भोपाल के दस शायरों की दस किताबों के लोकार्पण समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं विश्व रंग के निदेशक श्री संतोष चौबे व्यक्त किए।

लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ हिंदी उर्दू साहित्यकार श्री जानकी प्रसाद शर्मा ने कहा कि भोपाल उर्दू अदब का एक मरकज़ या केंद्र रहा है, जिसकी झलक आज भी यहाँ देखने को मिलती है। भोपाल की शायरी को पूरे देश में अहमियत के साथ सुना और पढ़ा जाता है।भोपाल के जिन 10 शायरों की किताबों का आज विमोचन किया गया है उर्दू शायरी में उनका एक महत्वपूर्ण स्थान है। मैं इस कार्य के लिए आईसेक्ट पब्लिकेशन और श्री संतोष चौबे जी को मुबारकबाद देता हूँ।
उल्लेखनीय है कि आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा भोपाल के 10 वरिष्ठ शायरों की शायरी की किताबें देवनागरी लिपि में प्रकाशित की गई हैं। इनमें बासित भोपाली, शेरी भोपाली,ताज भोपाली, कैफ़ भोपाली,असद भोपाली,साहिर भोपाली, अख्तर सईद खां, साजिद सजनी, जी एम नग़मी और शकीला बानो भोपाली शामिल हैं।

इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि बतौर वरिष्ठ कवि एवं विश्व रंग के सह निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई ने कहा कि शायरी सिर्फ अपने जमाने की बात नहीं करती वह आने वाले जमाने की बात भी करती है। लेखन में अतिक्रमण तो कोई भी कर सकता है पर अपनी उपज बनाना बड़ी बात होती है। भोपाल के इन दस शायरों ने अपनी उपज अपनी शायरी से की है। आज लोकार्पित किताबें भोपाल की शायरी का पुनर्जागरण है। इन किताबों के जरिए ये शायरी सरहदों के पार फिर से पहुँचेगी।
मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कहा कि भोपाल के दस शायरों की इन किताबों का आना उर्दू शायरी की दिशा में बहुत जरूरी काम हुआ हैं। हिंदी उर्दू का अपना सह अस्तित्व है और हमेशा रहेगा। सह अस्तित्व की बात तो सभी करते हैं लेकिन इस दिशा में काम बहुत कम लोग करते है। संतोष चौबे जी ने भाषाओं का एक सेतु बनाने का बहुत महत्वपूर्ण काम किया है।
विमोचन के पश्चात इन किताबें तथा शायरों पर वरिष्ठ उर्दू साहित्यकारक्षश्री इकबाल मसूद, डॉ नुसरत मेहदी, शायरा डॉ परवीन कैफ़, लेखक श्री रफ़ी शब्बीर और बद्र वास्ती ने पुस्तकों और शायरों पर चर्चा की तथा उनकी शायरी को प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के आरंभ में आईसेक्ट पब्लिकेशन की प्रबंधक और वनमाली सृजन पीठ की राष्ट्रीय संयोजक सुश्री ज्योति रघुवंशी ने स्वागत वक्तव्य दिया तथा आइसेक्ट पब्लिकेशन के वरिष्ठ प्रबंधक श्री महीप निगम ने अंत में अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उर्दू हिंदी के साहित्यकार और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

 

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