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2014 से अब तक बंद हो चुके हैं 30 हजार स्कूल -शरद सिंह कुमरे

समाजसेवियों ने समान शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन 

समाजसेवियों ने समान शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन
भोपाल। राष्ट्रीय न्याय सत्याग्रह के शरद सिंह कुमरे के नेतृत्व में समाजसेवियों ने बंद किए गए स्कूलों और पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता जताई। शरद सिंह कुमरे  ने कहा कि विभिन्न मांगों को लेकर गांधी भवन में एक दिन का अनशन था लेकिन अनुमति नहीं मिली जिसकी वजह से हम लोगों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है। वहीं अखिल अखिल भारतीय जनवादी महिला संगठन की अरुणा ने कहा कि शिक्षा, न्याय और स्वास्थ्य फ्री होना चाहिए।  विगत 10 वर्षों में 30,000 स्कूल बंद कर दिए गए हैं उन्हें फिर से खोला जाना चाहिए इसके अलावा अरुणा ने कहा कि भोपाल का नाम नहीं बदलना चाहिए।  यह भूपाल शाह सलाम के नाम पर रखा गया है । उन्होंने कहा कि गरीबों  के बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है । सरकार गरीबों  के बच्चों को मजदूर बनाकर रखना चाहती है।  2014 से 2024 तक 30000 विद्यालयों को बंद किया जा चुका है। यह औद्योगिक घरानों के लिए मजदूर बनाने का षड्यंत्र है। वहीं समाजसेवी रुचिता नारायण ने कहा कि मध्य प्रदेश के चार शहरों में महिलाओं के लिए शराब की दुकानें खोली जा रही हैं मैं इसका विरोध करती हूं यह एक बहुत  गलत निर्णय है। उन्होंने कहा कि जबलपुर के सदर में वाइन शॉप खुल चुकी है और चार अन्य तीन अन्य शहरों में खोला जाना है मैं इसका पूरी तरीके से विरोध करती हूं।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था बदहाल
समाजसेवी राजरानी पटेल ने कहा कि सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और न्याय फ्री किया जाना चाहिए। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति सही नहीं है । स्कूलों का भवन नहीं है कहीं छत गिरी है तो कहीं अन्य इंफास्ट्रक्चर का अभाव है।
युवा समाजसेवी शिवा बाथरे ने कहा कि मैं प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता हूं वहां बहुत समस्याएं देखने की मिलती हैं । कई बार बच्चों के पेरेंट्स फीस नहीं भर पाते उनके बच्चों को कक्षा में खड़ा कर दिया जाता है और परीक्षाओं से वंचित कर दिया जाता है ।गरीब बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों को सुधारा जाए। जिलों में केंद्रीय विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और जो केंद्रीय विद्यालय अभी हैं उनमें सिर्फ सरकारी शासकीय सेवकों के बच्चों का प्रवेश होता है सभी के लिए केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश की सुविधा की जानी चाहिए।
समाजसेवी अशोक चौरसिया ने कहा कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों को बंद करना उचित नहीं है, हमारे टैक्स का पैसा बर्बाद किया जा रहा है सभी के लिए समान शिक्षा होनी चाहिए। वही दीपक पासवान ने कहा कि हमारी मांग जायज है ।जल जंगल और जमीन को बर्बाद किया जा रहा है जहां तक शिक्षा की बात है सभी के लिए समान शिक्षा होनी चाहिए। निर्मल दास मानकर ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति के लिए बजट का  सदुपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा विजया, बबीता शर्मा और संतोष प्रजापति ने भी प्रदेश में और देश में समान शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता जताई।  वही ज्ञानेश्वर गौड़ ने कहा कि मध्य प्रदेश में महिलाओं के लिए शराब की दुकान खोलना उचित नहीं है इससे परिवार और समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। समाजसेवियों द्वारा गांधी भवन परिसर में पौधरोपण भी किया गया।

प्रमुख माँगें

1. प्रदेश के लगभग 30,000 बंद सरकारी स्कूलों को तत्काल पुनः खोला जाए तथा शिक्षा बजट में वृद्धि कर नए विद्यालय व बेहतर बुनियादी ढाँचा सुनिश्चित किया जाए।

2. सरकारी स्कूलों में मंत्री, विधायक, सांसद, जज एवं अधिकारियों के बच्चों की पढ़ाई अनिवार्य की जाए।

3. सभी नागरिकों को निःशुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य एवं न्याय उपलब्ध कराया जाए।

4. शिक्षा में अदंबर व अंधविश्वास का स्थान समाप्त कर वैज्ञानिक व तर्कशील दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जाए।

5. ग्राम-ग्राम में अवैध शराब बिक्री पर तत्काल रोक लगाकर सख्त कार्रवाई की जाए।

6. नेताओं/जनप्रतिनिधियों को दी जाने वाली अनावश्यक सुविधाओं में कटौती हो और संसाधनों का पारदर्शी उपयोग हो।

7. राजनीति के अपराधीकरण पर रोक और धर्म को राजनीति से अलग रखने की ठोस गारंटी हो।

8. हाईकोर्ट में लंबित मामलों का शीघ्र निस्तारण हो; सिविल जजों की भर्ती PSC से कराई जाए।

9. युवाओं के लिए रोजगार एवं कौशल विकास कार्यक्रम प्रभावी ढंग से लागू हों।

10. किसानों को कर्जमुक्ति व फसल का उचित मूल्य मिले।

11. भूमाफिया, खनन माफिया, शिक्षा माफिया आदि पर सख्त कानूनी कार्यवाही हो।

12. महिलाओं और कमजोर वर्गों की सुरक्षा व अधिकारों की रक्षा हो।

13. डिंडोरी के आदिवासियों की 1100 एकड़ भूमि वापस कराई जाए और दोषियों पर वैधानिक कार्यवाही की जाए।

❌ हमारा विरोध

1. भोपाल का नाम बदलकर “भोजपाल” करने का।

2. इतिहास से छेड़छाड़ करने का।

3. महिलाओं के लिए अलग शराब दुकानें खोलने का।

4. अवैध खनन, जंगलों की कटाई और आदिवासियों की ज़मीन हड़पने का।

5. खाद्य मिलावटखोरी व भ्रष्टाचार का।

6. जातिवाद, संप्रदायवाद, भाषावाद और क्षेत्रवाद का।

7. सरकारी शिक्षा में अंधविश्वास व पोंगापंथ का प्रचार-प्रसार।

🌱 विशेष सुझाव

अवैध शराब पर निगरानी हेतु ग्राम-स्तर पर विशेष टीमें गठित हों।

शिक्षा नीति सुधार: वैज्ञानिक प्रयोग, आलोचनात्मक सोच व शिक्षक प्रशिक्षण अनिवार्य हो।

पारदर्शिता: भूमाफिया/खनन/भ्रष्टाचार संबंधी मामलों के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट और सुपरवाइजरी कमेटी बने।

ग्राम विकास केंद्र: व्यायाम शाला, गौशाला, पाठशाला, क्रीड़ा शाला, मनोरंजन शाला व रोजगार शाला जैसे संस्थानों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्येक विकासखंड में स्थापित किया जाए।

 

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