मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: रेरा के एन्फोर्समेंट ऑफिसर अब आदेश पारित नहीं करेंगे क्रेडाई ने शेष वैधानिक मांगें दोहराईं

जबलपुर हाईकोर्ट ने एमएसए नंबर 46/2025, दिनांक 12.09.2025 में महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा है कि रेरा के ऐसे अधिकारी जो प्राधिकरण के सदस्य या अडजुडिकेटिंग अथॉरिटी नहीं हैं, वे अधिनियम की धाराओं 18, 35, 36 और 37 के अंतर्गत कोई भी आदेश पारित नहीं कर सकेंगे । यह फैसला रेरा अधिनियम की मूल भावना निष्पक्ष और अपील योग्य न्याय को मज़बूती प्रदान करता है। क्रेडाई भोपाल ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि यह हमारी मांग की वैधानिक पुष्टि है, लंबे समय से डेवलपर्स और उपभोक्ता दोनों ही एन्फोर्समेंट ऑफिसरों के आदेशों से प्रभावित हो रहे थे, जिनके विरुद्ध अपील का कोई प्रावधान नहीं था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इन अधिकारियों की भूमिका केवल आदेशों के अनुपालन और जांच तक सीमित है।
क्रेडाई की अन्य प्रमुख मांगें हैं:
1.परियोजना पंजीयन की अवधि प्रमोटर द्वारा घोषित समयसीमा तक मान्य हो।
2.सीए सर्टिफिकेट फॉर्मेट को संशोधित कर सही फार्मूला लागू किया जाए।
3.आवेदन की तारीख से 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित हो।
4.पूर्ण हो चुकी परियोजनाओं को अन्य राज्यों की तरह पंजीयन से छूट मिले।
5.डेवलपमेंट कम्प्लीशन के बाद तिमाही प्रगति रिपोर्ट प्रक्रिया पर स्पष्टता लाई जाए।
क्रेडाई भोपाल ने कहा:
हाईकोर्ट का आदेश क्रेडाई की इस मांग को पुष्ट करता है कि सुनवाई और आदेश वही करेंगे जिनको कानून ने अधिकार दिए हैं। राज्य के विकास के लिए ज़रूरी है कि रेरा अधिनियम की हर व्याख्या उद्योग, उपभोक्ता और शासन तीनों के हित में सकारात्मक और प्रगतिशील हो। अब ज़रूरत है कि रेरा से जुड़े सभी बिंदुओं पर स्पष्ट एसओपी और एफएक्यू जारी हों, ताकि अनावश्यक विवाद और विलंब समाप्त हो।

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