
हैदराबाद, 28 सितम्बर 2025: हार्टफ़ुलनेस के मार्गदर्शक और श्री रामचन्द्र मिशन के अध्यक्ष पूज्य दाजी के 70वें जन्मदिवस के अवसर पर हैदराबाद के बाहरी क्षेत्र में स्थित हार्टफ़ुलनेस मुख्यालय कान्हा शांति वनम् में भव्य समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर भारत और दुनिया भर से आए 35,000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ हज़ारों लोगों ने ऑनलाइन जुड़कर सामूहिक ध्यान में भाग लिया। कार्यक्रम में माननीय केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा श्रम एवं रोज़गार मंत्री श्री भूपेंद्र यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद और पूज्य दाजी भी मंच पर विराजमान थे।
मुख्य अतिथि और पूर्व राष्ट्रपति ने मिलकर पूज्य दाजी द्वारा लिखित विशेष प्रकाशनों का विमोचन किया, जिनमें शामिल थे: The Heartfulness Way Vol.2 (English), Complete Works of Ramchandra Vol.7 (English), From Daaji With Love (Hindi), From Daaji With Love (Kannada), The Heartfulness Way (Thai), A5 (6 variants) और A6 (5 variants) Diaries. इसी क्रम में नियति का निर्माण (Hindi) का नया हार्डकवर संस्करण भी पुनः लॉन्च किया गया। साथ ही पूज्य दाजी की नवीनतम कृतियों की प्री-बुकिंग शुरू हुई, जिनमें शामिल हैं: Holy Tirthankaras (Gujarati), Complete Works of Lalaji Vol.2 (French) और Mudra Cards Game Box। इसके बाद पूज्य दाजी ने माननीय केंद्रीय मंत्री और माननीय पूर्व राष्ट्रपति का सम्मान भी किया।
श्री भूपेंद्र यादव – माननीय केंद्रीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन; श्रम एवं रोज़गार ने कहा: “दाजी ने एक बहुत बड़ी क्रांति ला दी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक न्याय, समानता और संसाधनों की उपलब्धता जितनी आवश्यक है, उतना ही महत्वपूर्ण है कि यह संसार जैव-विविधता (biodiversity) के साथ भी जीवित रहे। हमें एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखना होगा, जो दाजी की गहन दृष्टि के अंतर्गत साकार हो रहा है। हर कोई सुख चाहता है, लेकिन यदि केवल भौतिक उपलब्धियों से ही सुख मिलता, तो विकसित देशों में अवसाद (depression) जैसी समस्याएँ न होतीं। भारत की योग-परंपरा प्रकृति से जुड़ी हुई है। हमारा आयुर्वेद ‘पंच-भूतों’ पर आधारित है। योग और ध्यान से हमें एकात्मता (integrity) प्राप्त होती है। ध्यान का उद्देश्य है उस एकात्मता को लाना, और हार्टफ़ुलनेस इसका सर्वोत्तम उदाहरण है कि कैसे आत्मा और प्रकृति का मिलन हो सकता है।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसे प्रयास पर्यावरण और ऊर्जा बचाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण नीति हस्तक्षेप है। प्रकृति के साथ सहजीवी (symbiotic) संबंध ही भारत का मूल मूल्य है, जिसे हार्टफ़ुलनेस ने खूबसूरती से प्रदर्शित किया है।”
श्री रामनाथ कोविंद जी – भारत के माननीय पूर्व राष्ट्रपति ने अपने विचार साझा करते हुए कहा: “चारीजी और दाजी से मेरा जुड़ाव मेरे लिए एक दिव्य आशीर्वाद है। एक जीवित गुरु का महत्व यही है कि वे साधक और परमात्मा के बीच सेतु (bridge) का कार्य करते हैं। उनके मार्गदर्शन से ही आंतरिक रूपांतरण होता है, और हमारे संसार व पर्यावरण के साथ संबंध भी बदलते हैं। मैं Forests by Heartfulness के गुजरात में किए गए अद्भुत कार्य की सराहना करता हूँ, जहाँ इंसान और प्रकृति मिलकर एक-दूसरे को चंगा कर रहे हैं। हमें भी चाहिए कि हम प्रकृति के सामने स्वयं को ईश्वर के उपकरण की तरह समर्पित करें – जीवित गुरु की छत्रछाया में। दाजी का जन्मोत्सव मनाना दरअसल भारत की ज्ञान-परंपरा, करुणा और मानवता की सेवा की जीवित आत्मा का उत्सव है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि दाजी इसी तरह हमें प्रेरित करते रहें कि हम अपनी दैनिक जीवन में आध्यात्मिक प्रकाश को ले कर चलें।”
पूज्य दाजी – हार्टफ़ुलनेस मार्गदर्शक और श्री रामचन्द्र मिशन के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा: “यदि सामूहिक शक्ति और इच्छाशक्ति हो, तो इस देश में कुछ भी संभव है और हम दुनिया के लिए एक नया भविष्य बना सकते हैं। यदि दुनिया को प्रकाशित होना है, तो भारत को आध्यात्मिक केंद्र बनना होगा। आध्यात्मिकता हमें यह अनुभव कराती है कि ईश्वरत्व क्या है, यह हमारे भीतर की समरसता को कैसे मजबूत बनाती है, और वही हमारे हृदय से मार्गदर्शन करने वाला आंतरिक कम्पास बन जाता है। सहज मार्ग का वादा है कि यह केवल शिष्य बनाने के लिए नहीं, बल्कि हर साधक को मास्टर बनाने के लिए है। हृदय को विचार से पहले ही संवेदनशील बनाना चाहिए। हमारे बीच की भिन्नताएँ मिलकर एकता में बदलें, हम सीखें कि आपसी सामंजस्य से कैसे जीना है, और अंततः उस परमात्मा में मिल जाना है। यदि आप किसी इंसान से प्रेम नहीं कर सकते, तो ईश्वर से भी प्रेम नहीं कर सकते। चेतना (consciousness) को विकसित किया जा सकता है, उसे परिष्कृत किया जा सकता है, उसे शुद्ध किया जा सकता है। और चेतना की शुद्धि का एकमात्र साधन है ध्यान। हमें अपनी साधना का कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ना चाहिए। सामूहिक सत्संग और व्यक्तिगत सत्संग अत्यंत आवश्यक हैं। दाजी ने यह भी घोषणा की कि कान्हा शांति वनम् में शीघ्र ही स्किलिंग सेंटर की स्थापना होगी, जहाँ खेती, प्लंबिंग, बढ़ईगिरी और अन्य कई कौशल सिखाए जाएँगे। इसके अतिरिक्त एक विश्वविद्यालय भी स्थापित होगा, जो कृषि, उद्यानिकी और शिक्षा पर केंद्रित होगा।”
पूज्य दाजी के इन विचारों और उनके विशाल कार्यों – विशेषकर आध्यात्मिकता और पर्यावरण के क्षेत्र में लाई गई क्रांति – पर उपस्थित जनसमूह खड़ा होकर श्रद्धा और कृतज्ञता से उनका अभिनंदन करता रहा।