मठ – मंदिर स्वतंत्र होने चाहिए, सरकार का हस्तक्षेप उचित नहीं है – जगतगुरु श्री रामानुजाचार्य, श्री रवीन्द्राचार्य महाराज
मां बगलामुखी मंदिर नेहरू नगर में 50 वर्षों से लगातार जल रही है अखंड ज्योति

जब मां बगलामुखी ने किया अंधकासुर का अंत
भोपाल, राजधानी के नेहरू नगर स्थित मां पीतांबरा बगलामुखी का मंदिर करीब 5 दशकों यानी 50 वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर की स्थापना 5 दशक पहले विक्रम संवत 2033 में हुई थी, तब से यहां लगातार अखंड ज्योति जल रही है और पूजा अर्चना की जा रही है। मंदिर के संस्थापक जगतगुरु श्री रामानुजाचार्य, स्वामी रविंद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि बगलामुखी का सही नाम बलगा है लेकिन अपभ्रंश करके बगलामुखी कर दिया गया है बंगला का मतलब है जो घोड़े पर लगाम लगाए। उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर अंधकासुर का बहुत अत्याचार था। नारायण के आह्वान पर मां बलगा ने अंधकासुर का वध करके पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था। उन्होंने आगे कहा कि यहां बगलामुखी मंदिर में साल में दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रकट नवरात्रि मनाई जाती है। प्रकट नवरात्रि बासंती और शारदीय नवरात्रि साल में दो बार मानते हैं, वही माघ शुक्ल और आषाढ़ शुक्ल में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है और श्रद्धाभाव से माता रानी की पूजा अर्चना होती है। रविंद्राचार्य जी महाराज ने आज के नये दौर पर बोलते हुए कहा कि शास्त्र कहता है कि धर्म को छिपाओ और पाप को दिखाओ, लेकिन आज सब कुछ उल्टा हो रहा है लोग धर्म का दिखावा करते हैं सब कुछ ऑनलाइन होने लगा है । आज पितरों का श्राद्ध, पिंडदान और अभिषेक भी ऑनलाइन हो रहा है । मैं तो कहता हूं भोजन प्रसाद भी ऑनलाइन ही हो जाना चाहिए । यही सभी गलतियां हमारे दुख का कारण बन रही हैं । देश में आज कुछ नए लोग प्रकट हुए हैं जो इस तरह का ज्ञान देते हैं, ऐसे लोगों का समाज के द्वारा बहिष्कार किया जाना चाहिए । हमें यह सोचना होगा कि सनातन धर्म का उत्थान कैसे हो, जैसे कि हमारे गुरु, परम गुरु, माता-पिता ने किया ,उसी परंपरा का पालन होना चाहिए । उस आचरण को जीवन में लाना चाहिए ताकि समाज में नैतिक मूल्य बना रहे। रविंद्राचार्य जी ने कहा कि अब लोगों के बीच रिश्ते में भी वह स्नेह और प्रेम नहीं रहा , पति-पत्नी और पिता पुत्र तथा भाई बहन के रिश्ते बिगड़ गए हैं । जो अनर्गल कार्य हो रहे हैं अप्रत्याशित कार्य क्रियाएं हो रही है उसका असर समाज पर पड़ रहा है। ऐसे कृत्य को बढ़ावा देने वालों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए । उन्होंने कहा कि नवरात्रि का मतलब भगवती जी की आराधना करने से है। इससे घर, परिवार , समाज और देश ही नहीं पूरे विश्व में शांति स्थापित होती है । नवरात्रि का बड़ा महत्व है, नवरात्रि को जानने के लिए रोजाना सत्संग भी करना चाहिए। इसके अलावा देवस्थानों में बड़ी सादगी से पूजा अर्चना की जानी चाहिए, लेकिन आज का लोग पैंट -शर्ट कुर्ता पजामा पहनकर ऑनलाइन भी अभिषेक करने लगे हैं। एक दिन ऐसा आएगा की पूजा अर्चना भी ऑनलाइन होगी।
सरकार ने कलेक्टर को बना रखा है मठ मंदिरों का अध्यक्ष
रविंद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि मठ -मंदिरों में सरकार ने कब्जा कर रखा है । कलेक्टर को अध्यक्ष बना दिया गया है मैं शासन से कहना चाहता हूं यह जो कृत्य किया जा रहे हैं इससे शासन भी सुखी संपन्न नहीं रह पाएगा । क्योंकि कृत्य का प्रायश्चित भोगना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है की मठ- मंदिरों को स्वतंत्र किया जाना चाहिए जैसे पहले पंडा- पुजारी, महंत, गुरु परंपरा और परिवार परंपरा से संचालन होता था उसी तरह होना चाहिए। हमारा व्यवहार सिस्ट होना चाहिए ताकि लोग हम पर भरोसा करें। उन्होंने कहा कि जो गड़बड़ियां हुई है उनका पतन निश्चित है नवरात्रि में ही होगा। रविंद्र आचार्य ने कहा कि मां पीतांबरा बगलामुखी मंदिर में अष्टमी को दुर्गा सप्तशती का हवन, नवमी को पूर्णाहुति होगी और दशहरे के दिन प्रसाद वितरण किया जाएगा ।उन्होंने लोगों से अपील की है कि हमारे सनातन धर्म की परंपराओं का निर्वहन करें। अपना परिचय देते हुए उन्होंने बताया कि मंदिर के महंत महर्षि देवांग दास जी हैं।