एमपी में खांसी की दवा से 20 बच्चों की मौत के बाद महाराष्ट्र सतर्क, सभी सिरप की जांच के आदेश

मध्य प्रदेश में दूषित खांसी की दवा के कारण 20 बच्चों की मौत के बाद महाराष्ट्र सरकार सतर्क हो गई है। राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों, डिस्ट्रीब्यूटरों व मेडिकल स्टोर्स में रखे तरल दवाओं की जांच के आदेश दिए हैं। एफडीए आयुक्त की अध्यक्षता में 7 अक्तूबर को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद यह फैसला लिया गया। विभाग ने सभी संयुक्त आयुक्तों और दवा निरीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में दवा निर्माताओं की सूची तैयार करें और संदिग्ध सिरप के सैंपल लेकर तत्काल जांच के लिए भेजें।
एफडीए की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार, मुंबई, कोंकण, पुणे और नासिक डिवीजन के नमूने मुंबई लैब भेजे जाएंगे, जबकि छत्रपति संभाजीनगर, अमरावती और नागपुर डिवीजन के नमूने छत्रपति संभाजीनगर लैब में जांचे जाएंगे। यह सैंपलिंग 9 अक्तूबर तक पूरी करनी है और हर दिन रिपोर्ट ऑनलाइन गूगल फॉर्म के जरिए जमा करनी होगी।
10 से 15 अक्तूबर के बीच सभी तरल दवा निर्माताओं का निरीक्षण किया जाएगा। इस दौरान ग्लिसरीन, सोर्बिटोल और प्रोपलीन ग्लाइकॉल जैसे सॉल्वेंट्स की गुणवत्ता, विक्रेता सत्यापन, DEG और EG की जांच प्रक्रियाएं और रिकॉर्ड-कीपिंग की स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा।
कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री और उपयोग तुरंत बंद कर दी जाए
एफडीए ने चेतावनी दी है कि यदि किसी निर्माता द्वारा संदिग्ध सॉल्वेंट या मिलावटी सामग्री का उपयोग पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने यह भी अपील की है कि कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री और उपयोग तुरंत बंद कर दी जाए और निकटतम दवा नियंत्रण प्राधिकरण को सूचित किया जाए।
मध्य प्रदेश में अब तक 20 बच्चों की मौत और पांच की हालत गंभीर बताई जा रही है। जांच में सामने आया कि जिन बच्चों ने खांसी की यह दवा ली थी, उनके शरीर में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) जैसे जहरीले रसायनों के अंश पाए गए। इससे उनके गुर्दे (किडनी) फेल हो गए। एफडीए का यह कदम दवा की गुणवत्ता पर निगरानी बढ़ाने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उठाया गया है।
खांसी की दवा से बच्चों की मौत के बाद केंद्र सख्त, डीसीजीआई ने राज्यों को जारी किया आदेश
मध्य प्रदेश और राजस्थान में दूषित खांसी की दवा पीने से बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार एक्शन मोड में आ गई है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के दवा नियंत्रकों को निर्देश दिया है कि बाजार में दवा भेजने से पहले उसकी पूरी तरह जांच की जाए।
डीसीजीआई की इस सख्त चेतावनी का उद्देश्य है कि किसी भी फार्मा कंपनी की लापरवाही से बच्चों या मरीजों की जान न जाए। हाल ही में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 20 बच्चों की मौत और 5 की हालत गंभीर बताई गई थी। जांच में सामने आया कि इन बच्चों ने जिस सिरप का सेवन किया था, उसमें डायएथिलीन ग्लाइकॉल और इथाइलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायन मौजूद थे। इसी तरह, राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत संदिग्ध खांसी की दवा पीने के बाद हुई है।
डीसीजीआई ने राज्यों को दिए सख्त निर्देश
डीसीजीआई ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि हाल के निरीक्षणों में पाया गया कि कई निर्माता कंपनियां कच्चे माल और सक्रिय तत्वों की हर खेप का परीक्षण नहीं कर रही हैं। यह दवा निर्माण नियमों का गंभीर उल्लंघन है। एडवाइजरी में साफ कहा गया है कि दवा कंपनियों को अपने या अधिकृत प्रयोगशालाओं में हर बैच की जांच करनी होगी। इसके साथ ही, दवा निर्माण और बिक्री का पूरा रिकॉर्ड भी रखना होगा, जैसा कि ड्रग्स रूल्स 1945 में निर्धारित है।