निजी नर्सिंग कॉलेजों में NHM कर्मचारियों को फर्जी फैकल्टी दिखाने का बड़ा फर्जीवाड़ा
एनएसयूआई ने मिशन संचालक को शिकायत कर दोषी सीएचओ और कर्मचारियों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की

फर्जी नर्सिंग कालेजों को मान्यता के लिए CHO सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी नर्सिंग कॉलेज में कागजों में फैकल्टी – रवि परमारभोपाल – भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की मिशन संचालक को एक गंभीर शिकायत सौंपी है,
जिसमें एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने आरोप लगाया गया है कि प्रदेश के कई निजी नर्सिंग कॉलेजों में CHO (Community Health Officer) एवं NHM के अन्य नियमित कर्मचारी कागज़ों पर फैकल्टी के रूप में दर्शाए जा रहे हैं , जबकि वे वास्तव में अपने मूल पदों पर कार्यरत हैं।एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि यह मामला न केवल मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल के मान्यता नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शासकीय सेवा आचरण नियमों के तहत दंडनीय अपराध भी है।रवि परमार ने बताया कि “सरकारी वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारी दो जगह कार्य कर रहे हैं — एक तरफ वे NHM के अधीन सेवा में हैं, वहीं दूसरी ओर नर्सिंग कॉलेजों में फैकल्टी दिखाकर कॉलेज संचालकों को फर्जी मान्यता दिलवा रहे हैं।”एनएसयूआई की प्रमुख मांगें :1. ऐसे सभी CHO और NHM कर्मचारियों की तत्काल जांच की जाए जिनके नाम नर्सिंग कॉलेजों की फैकल्टी सूची में दर्ज हैं।2. जिन कर्मचारियों के नाम दो जगह पाए जाएं, उनके विरुद्ध तत्काल निलंबन एवं कानूनी कार्यवाही की जाए।3. ऐसे कर्मचारियों द्वारा प्राप्त वेतन एवं मानदेय की राशि की वसूली की जाए।4. सभी जिलों के CMHO को निर्देशित किया जाए कि वे अपने-अपने जिले के NHM/CHO कर्मचारियों की सूची का मिलान नर्सिंग काउंसिल में जमा कराई गई फैकल्टी सूची से करें।जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने कहा कि “यह एक संगठित फर्जीवाड़ा है जिसमें सरकारी पदों पर बैठे लोग और निजी कॉलेज संचालक मिलकर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इससे न केवल नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ा है बल्कि सरकारी धन का भी दुरुपयोग हुआ हैउन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो एनएसयूआई इस पूरे मामले को माननीय न्यायालय और सीबीआई तक ले जाएगी तथा दस्तावेज़ों सहित जांच की मांग करेगी।अक्षय तोमर ने कहा कि इस प्रकार की दोहरी नियुक्ति और फर्जी फैकल्टी की प्रवृत्ति से प्रदेश की नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता दोनों खतरे में हैं। ऐसे में शासन को तत्काल सख्त कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस प्रकार के फर्जीवाड़े की हिम्मत न करे ।