भारत सरकार द्वारा निर्देशित रेड क्रॉस सोसाइटी के सहयोग से सीपीआर जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत कार्यशाला आयोजित की गई।

विदिशा। सीपीआर जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत मंगलवार 14 अक्टूबर को शासकीय मेडिकल कॉलेज, विदिशा में भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के सहयोग से सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। द इंटरनेशनल लायंस डिस्ट्रिक्ट सह मल्टीमीडिया प्रभारी एवं अखिल भारतीय स्वर्णकार महासभा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी लायन अरुण कुमार सोनी ने बताया कि कार्यक्रम कॉलेज के प्रथम तल स्थित लेक्चर थियेटर नंबर–1 में संपन्न हुआ, जिसमें मेडिकल कॉलेज के समस्त विदिशा नगर के एंबुलेंस ड्राइवर एवं सहयोगी ,सुरक्षा गार्ड, वार्ड बॉय, पैरामेडिकल स्टाफ एवं अन्य सहयोगी कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लियाकार्यशाला में प्रशिक्षक डॉ. चंद्रकांत जी एवं उनकी टीम ने सीपीआर तकनीक के व्यावहारिक प्रदर्शन के साथ प्रतिभागियों को यह सिखाया कि हृदय गति रुक जाने या सांस बंद हो जाने की स्थिति में तत्काल क्या कदम उठाए जाएं जिससे मरीज का जीवन बचाया जा सके।इस अवसर पर भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी जिला विदिशा के चेयरमैन डॉ. सचिन गर्ग, सचिव संदीप उदयवाल, सदस्य अरुण कुमार सर्राफ, ऋषि जालोरी, दिनेश वर्मा, मनोज जी, अमित धाकड़, राजेंद्र नामदेव, आकाश साहू, रोहित वाजपेई एवं मनोज राय ,अंशुल शर्मा ,प्रणव श्रीवास्तव उपस्थित रहे।डॉ. चंद्रकांत, सीपीआर विशेषज्ञ ने कहा कि “आपातकालीन स्थिति में सही समय पर किया गया सीपीआर कई बार अस्पताल पहुंचने से पहले ही जीवन बचा सकता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसे किसी भी व्यक्ति द्वारा सीखा और उपयोग में लाया जा सकता है।वहीं, रेड क्रॉस सोसायटी सचिव संदीप उदयवाल ने कहा कि “सीपीआर का ज्ञान सिर्फ स्वास्थ्यकर्मियों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे हर नागरिक तक पहुंचाना जरूरी है। यदि समाज के हर वर्ग को इस तकनीक का प्रशिक्षण मिले तो सड़क दुर्घटनाओं या हृदयाघात जैसी स्थितियों में त्वरित सहायता से अनगिनत जीवन बचाए जा सकते हैंकार्यक्रम के अंत में भारतीय रेड क्रॉस जिला विदिशा टीम द्वारा इस सप्ताह के दौरान विभिन्न संस्थानों में जागरूकता गतिविधियां संचालित करने की जानकारी दी गई।गौरतलब है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के सहयोग से 13 से 17 अक्टूबर तक पूरे देश में सीपीआर जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य जनमानस में जीवन रक्षक तकनीकों को लेकर जागरूकता बढ़ाना और ‘हर घर एक जीवन रक्षक’ का संदेश प्रसारित करना है।