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जैसलमेर बस हादसा : धधकती आग में कंडक्टर ने दिखाई बहादुरी, घिसटते हुए दरवाजे तक पहुंचा, घायल हालत में बचा ली कई जिंदगियां

जैसलमेर बस अग्निकांड में कंडक्टर रफीक ने जिस बहादुरी के साथ लोगों की जिंदगी बचाई, काबिले तारीफ है। बस की छत में धमाका होने के बाद वह खुद बुरी तरह आग की चपेट में आ गया, लेकिन हार नहीं मानी।

जैसलमेर। थईयात गांव के पास मंगलवार शाम हुए दर्दनाक हादसे में एसी स्लीपर बस आग का गोला बन गई। इस हादसे में अब तक 21 लोगों की मौत हो जुकी है, जबकि 14 यात्री गंभीर रूप से झुलस गए। लेकिन इस भयावह हादसे के बीच बस कंडक्टर रफीक खान ने अपनी जान की परवाह किए बिना कई यात्रियों की जिंदगी बचा ली।

बस जैसलमेर से जोधपुर की ओर जा रही थी। जैसे ही रफीक ने बस के अंदर धुआं उठते देखा, उसने तुरंत दरवाजे खोले और यात्रियों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। तभी छत पर आग भड़क उठी और जोरदार धमाका हुआ। हादसे में रफीक खुद भी झुलस गया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। जलती हुई हालत में वह घिसटता हुआ मुख्य दरवाजे तक पहुंचा और कई यात्रियों को बाहर निकालने में कामयाब रहा।

छत में विस्फोट होने पर गिरा रफीक

रफीक के भाई इरफान ने बताया, ‘वह पीछे की सीटों पर टिकट जांच रहा था, तभी अंदर धुआं भरने लगा। वह तुरंत आगे बढ़ा और दरवाजा खोला। तभी छत से आग की लपटें निकलीं और विस्फोट हुआ। रफीक जल गया और नीचे गिर पड़ा, लेकिन रेंगते हुए दरवाजे तक पहुंचा और कई लोगों को बाहर निकाल दिया।’

आर्मी के जवानों ने की मदद

बस में 50 से अधिक यात्री सवार थे। आग कैसे लगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन प्रारंभिक जांच में माना जा रहा है कि बैट्री के अंदर शार्ट-सर्किट हुई। आग पहले बस के पिछले हिस्से से लगी और तेजी से फैल गई। स्थानीय लोगों ने भी बचाव कार्य में मदद की। पास में आर्मी एरिया होने की वजह से आर्मी के जवान तुरंत मौके पर पहुंचे और उन्होंने भी बचाव में मदद की।

40-70 फीसदी जले

घायलों को पहले जैसलमेर अस्पताल ले जाया गया और बाद में जोधपुर के डॉ. एस.एन. मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. बी.एस. जोधा ने बताया, ‘रात करीब 9 बजे 15 मरीज पहुंचे। पांच मरीजों की हालत गंभीर है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, इनमें से एक मरीज की मौत हो गई। कई के शरीर का 40 से 70 फीसदी हिस्सा झुलस चुका है।’

डीएनए के जरिए मृतकों की होगी पहचान

अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की पहचान की जा रही है। 10 शव एस.एन. मेडिकल कॉलेज में और बाकी एम्स जोधपुर में रखे गए हैं। जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि पीड़ित परिवारों के लिए हेल्पलाइन शुरू कर दी गई है। डीएनए सैंपल के जरिए मृतकों की पहचान होगी।

पीर मोहम्मद ने खिड़की तोड़कर 3 लोगों की बचाई जान

आंखों देखा हाल बताने वाले पीर मोहम्मद ने कहा, ‘मैंने खिड़की तोड़कर अपनी पत्नी, साली और एक बच्चे को बाहर निकाला, लेकिन ऊपर की सीट पर सोए दो बच्चों को नहीं बचा सका। जब तक कुछ करता, आग इतनी फैल गई कि सब खत्म हो गया।’

सीएम ने पीड़ितों से की मुलाकात

हादसे के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहले जैसलमेर के थईयात गांव पहुंचे, जहां पर आर्मी की कस्टडी में बस को रखा गया था। इसके बाद वे जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल पहुंचे। वहां उन्होंने मरीजों का हाल जाना और पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात कर सांत्वना दी। सीएम ने सभी घायलों और पीड़ितों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है।

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