भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर साकेत नगर में हुआ मूलनायक जी का महामस्तकाभिषेक।
बिना बोली निर्वाण लाड़ू और अभिषेक की परंपरा का दोहराया गया इतिहास।


मोक्ष कल्याणक पर समर्पित किये गए निर्वाण लाड़ू।
मूलनायक भगवान महावीर का मनाया गया मोक्ष कल्याणक। श्री 1008 भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर साकेत नगर में भगवान् महावीर स्वामी के मोक्ष कल्याणक महोत्सव के अवसर पर मंदिर जी के मूलनायक महावीर भगवान का महामस्तकाभिषेक बेहद धूमधाम और हर्षोल्लास के बीच संपन्न हुआ। हेमलता जैन “रचना” ने बताया कि जैन समाज द्वारा दीपावली, जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। जैन ग्रथों के अनुसार महावीर स्वामी को चर्तुदशी के प्रत्युष काल में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। संध्या काल में तीर्थंकर महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म में लक्ष्मी का अर्थ होता है निर्वाण और सरस्वती का अर्थ होता है केवलज्ञान, इसलिए लक्ष्मी-सरस्वती का पूजन दीपावली के दिन किया जाता है। इस दिन प्रातःकाल जैन मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण उत्सव मनाते समय भगवान की पूजा में केवल शक्कर की चाशनी से बने लाड़ू चढ़ाए जाते हैं। लड्डू गोल होता है, जिसका अर्थ होता है जिसका न आरंभ है और न अंत। आत्मा भी अखंड लड्डू की तरह होती है, जिसका न आरंभ होता है और न ही अंत। लड्डू बनाते समय चाशनी को कड़ाही में तपना पड़ता है उसी प्रकार अखंड आत्मा को भी तपश्चरण की आग में तपना पड़ता है तभी मोक्षरूपी चाशनी की मधुरता मिलती है। मंदिर अध्यक्ष नरेंद्र टोंग्या ने बताया कि मूलनायक भगवान महावीर के प्रथम अभिषेक का सौभाग्य देवेंद्र जैन नौहराकलां एवं परिवार को प्राप्त हुआ वहीं सुनील जैन एनएचडीसी, नीरव जैन हाथीशाह तथा नरेंद्र जैन टोंग्या एवं परिवार को क्रमशः द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ अभिषेक का सौभाग्य प्राप्त हुआ वहीं शांतिधारा हरीश जैन रेलवे, देवेश जैन, राजेश जैन, सुगंधी लाल जैन, शैलेन्द्र जैन एमरॉल्ड, डॉ शैलेन्द्र जैन बीयू, डॉ आरके जैन, प्रकाश चंद जैन, महेंद्र जैन चंदेरी, निहालचंद जैन आदि को शांतिधारा का एवं निर्वाण लाड़ू का सौभाग्य श्रीमती राजश्री बसंत जी जैन एवं परिवार को प्राप्त हुआ। इस पावन अवसर से साकेत नगर जैन समाज ने “बिना बोली निर्वाण महोत्सव” मनाने की एक नई परंपरा के इतिहास को दोहराया। अध्यक्ष नरेंद्र टोंग्या के अथक प्रयासों और मंदिर जी कमेटी की अनथक मेहनत के फलस्वरूप बहुत ही कम समय में निर्वाण लाडू चढाने हेतु ऑनलाइन बोली के माध्यम से त्यौहार के चालीस दिन पहले ही समस्त बोलियों का निर्धारण कर लिया गया था जिसके फलस्वरूप ठीक 7:30 बजे निर्वाण लाड़ू श्री जी को अर्पित कर दिए गए। इस नवीन परिपाटी का समस्त समाजजनों ने दिल खोलकर स्वागत किया और हर्षोल्लास पूर्वक अपनी सहभागिता प्रदान की। इस उत्सव पर अभिषेक, पूजन, शांतिधारा कर युवा, बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं, समाजजनों तथा अतिथियों ने पूर्ण उत्साह के साथ धर्मलाभ लिया।

