सांची में कठिन चिवर की पूजा में श्रीलंका के वरिष्ठ पूज्य भन्ते जी ने किया परित्राण
मानवीय कष्ट हरने, सूख और समृद्धि के साथ विश्व शांति के लिए पूरी रात यह पूजा की गई



श्रीलंका महाबोधि सोसायटी सांची में कठिन चीवर की पूजा करने के लिए 15 वरिष्ठ भिक्षु संघ के साथ लगभग 300 बौद्ध उपासका-उपासिकाएं सांची पहूचें। 25 अक्टूबर को सायं 5.00 बजे पूजन सामग्री के साथ भव्य रैली महाबोधि सोसायटी से निकाली गई, जो सांची स्तूप के निकट चेतियागिरी विहार पर पहुंच, यहां मुक्त आकाश में सभी श्रीलंका निवासियों को सांची का महत्व एवं उसके इतिहास की जानकारी देकर बुध्द वंदना ली। इसके पश्चात रैली के रुप में महाबोधि सोसायटी के परिसर में पहुंची तथा यहां कठिन चीवर की पुजा हेतु बनाए गये आकर्षक स्थान पर रात्रि 9.00 बजे से परित्राण पाठ प्रारंभ हुआ। परित्राण पाठ में तथागत भगवान गौतम बुध्द की पवित्र वाणी तथा सूत्र का पठन कर सभी मानव कष्टों को दूर करने, सभी सूखी और समृध्दि हो तथा शांति का वातावरण निर्मित होने हेतु पूजा की गई। इसके अलावा इस देश में शांति के लिए परित्राण पाठ के माध्यम से मंगल कामना की। यह पूजा प्रातः 5.00 बजे तक जारी रही। पूजा के पश्चात सभी उपासकों को पवित्र परित्राण जल वितरित कर परित्राण सूत्त बांधा गया।
इसके पश्चात प्रातः 9.00 बजे श्रीलंकन भन्ते जी के साथ साथ लगभग 60 भारतीय भिक्षुओं को संघ दान किया गया। संघ को कठिन चीवर दान किया गया। साथ ही सभी भन्ते जी को चीवर (वस्त्र), धनराशि, उनकी उपयोग की वस्तुएं धम्मदान स्वरूप भेंट कर भोजन दान किया गया।

