खबरमध्य प्रदेश

अखंड भारत के निर्माता सरदार पटेल

सरदार वल्लभभाई पटेल देश की एकता और अखंडता के मसीहा माने जाते हैं। भारत के नवनिर्माण में उनका अप्रतिम योगदान है। वे बचपन से ही साहसी और कठोर इच्छाशक्त‍ि वाले थे। राष्ट्रीय एकता दिवस मनाकर हम उनकी सेवाओं और योगदान का स्मरण कर भारत की एकता-अखंडता को समृद्ध करने का संकल्प दोहराते हैं। नई पीढ़ी को सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन और व्यक्त‍ित्व और योगदान से परिचित कराना अनिवार्य है। बहुत कम लोग जानते हैं कि सरदार पटेल के पिताश्री झबेर भाई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में रहकर 1857 की क्रांति में भाग ले चुके थे। यह जानना भी जरूरी है कि यदि सरदार पटेल अपनी सूझबूझ और कूटनीति से नेतृत्व नहीं करते तो स्वतंत्र भारत में शांतिपूर्ण स्थ‍िति नहीं होती।

भारतीय प्रशासनिक तंत्र के वास्तुकार

भारत की एकता और अखंडता का जो स्वरूप आज हम देखते हैं वह सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान के बिना पूरा नहीं हो पाता। नवोदित राष्ट्र के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली के मेटकाफ हाउस में 21 अप्रैल 1947 को भारतीय प्रशासनिक सेवा के पहले बैच के अधिकारियों को संबोधन में उन्होंने स्वतंत्र भारत के सिविल सेवकों के कार्यों को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा था कि पूर्ववर्ती अधिकारी आम जनता से अलग-थलग रहते थे। अब आपका कर्तव्य है कि आप भारत के आम आदमी को अपना समझें।

नये भारत के प्रशासन तंत्र का निर्माण करने की जिम्मेदारी सरदार पटेल ने ली। उन्होंने आधुनिक भारतीय प्रशासनिक सेवा की नींव रखी। इसी कारण उन्हें ‘संरक्षक संत’ भी कहा जाता है। पटेल ने यह महसूस किया कि अनुभवी सिविल सेवक ही देश की स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने सिखाया कि ईमानदारी से अपनी राय दें। सरदार पटेल ने भारत को एक सशक्त प्रशासनिक संस्था दी। ऐसी संस्था जो आज भी सुशासन, निष्ठा और दक्षता का प्रतीक है। उनकी दूरदर्शिता, कर्मनिष्ठा और संगठनात्मक क्षमता ने भारतीय प्रशासनिक सेवा को राष्ट्र की प्रशासनिक रीढ़ के रूप में स्थापित किया।

भारत निर्माता

सरदार पटेल स्वतंत्र और अखंड भारत के निर्माता थे। वे साफ कहते थे कि “सामूहिक प्रयास से हम अपने देश को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं, जबकि एकता की कमी हमें नई विपत्तियों के सामने ला खड़ा करेगी।” आधुनिक भारत के निर्माता माने जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल ने अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद सभी रियासतों विशेषकर हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर को भारतीय संघ में मिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई। छोटी बड़ी रियासतों की संख्या 562 थी। इन्हें एक साथ लाने का काम एक कुशल प्रशासक ही कर सकता था।

खेड़ा, बोरसद और बारडोली के किसानों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अहिंसक असहयोग आंदोलन के लिए संगठित किया और गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए। बारडोली में किसानों के “नो-टैक्स आंदोलन” का नेतृत्व करने के बाद उन्हें “सरदार” की उपाधि दी गई।

अगर सरदार पटेल न होते तो भारत का स्वरूप आज के भारत जैसा नहीं होता। यह दो हिस्सों में बँटा होता। एक हिस्सा लोकतांत्रिक भारत और दूसरा रियासतों का होता जो राजाओं और उनके वंशजों द्वारा शासित होता। आधे भारतीय लोकतांत्रिक शासन में रहते, जबकि बाकी किसी न किसी राजशाही के अधीन रहते। एकता, स्वतंत्रता और समानता जैसे सिद्धांत एक हिस्से में होते, दूसरे में नहीं। भारत का एक भाग न्याय और स्वतंत्रता के सिद्धांतों से शासित होता, जबकि दूसरा उनसे वंचित रहता। अंतत: परिणाम यह होता कि अराजकता और अव्यवस्था फैल जाती और अखंड भारत की परिकल्पना अंकुरित होने के पहले ही बिखर जाती।

सरदार पटेल की सूझबूझ से हुआ भारत एक

सरदार पटेल की बुद्धिमत्ता, दूरदृष्टि, देशभक्ति, कूटनीतिक कौशल और न्यायप्रियता ने एक जटिल राजनीतिक व सामाजिक समस्या को बिना किसी विद्रोह या संघर्ष के सुलझा दिया। वे एक महान स्वप्नदृष्टा थे। उन्होंने अखण्ड भारत की कल्पना को जीवंत रूप दिया। भारत का संघ के रूप में एकीकरण स्वतंत्रता के बाद भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्ध‍ि है। स्वतंत्रता के बाद के सबसे उथल-पुथल भरे दौर में सरदार पटेल की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प ने भारत की एकता को मजबूती दी। लॉर्ड माउंटबेटन ने भी भारत के एकीकरण को स्वतंत्र भारत की पहली बड़ी सफलता बताया था। सरदार पटेल एक ऐसे राजनेता थे जिनमें यथार्थवाद, व्यावहारिक सोच और देशभक्ति का अद्भुत संगम था।

हैदराबाद और जूनागढ़ का मामला

रियासतों को यह विकल्प दिया गया था कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र रहें। जब हैदराबाद के निज़ाम ने पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने का सपना देखा, तो पटेल ने “ऑपरेशन पोलो” के तहत सैन्य कार्रवाई कर हैदराबाद को भारत में मिला लिया। पाँच दिनों तक चली इस कार्रवाई में सितंबर 1948 में हैदराबाद को मुक्त कराया गया। जब भारत की एकता संकट में थी, तब देश को सरदार पटेल के रूप में वह नेता मिला जिसने कठिन परिस्थिति में अद्भुत धैर्य, समझदारी और दृढ़ निश्चय का परिचय दिया। उन्होंने भारत के विखंडन को रोका। इसी तरह, गुजरात की जूनागढ़ रियासत का मामला भी पटेल ने अत्यंत कुशलता से सुलझाया। सरदार पटेल एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे। वे गतिशील राजनेता, उत्कृष्ट संगठनकर्ता, कुशल प्रशासक और निपुण वार्ताकार थे। स्वतंत्र भारत के निर्माण में उनके द्वारा दिया गया योगदान हर भारतीय को गर्व महसूस कराता है।

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