आने वाले दशकों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता इंसानी जीवन को सरल व सहज बनाने में उपयोगी भूमिका निभाएगी
52वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के द्वितीय दिवस में विज्ञान वार्ताओं ( साइंस टाॅक) के सत्रों का आयोजन



श्यामला हिल्स स्थित एनसीईआरटी के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल के प्रांगण में मुख्यमंत्री डाॅ.मोहन यादव जी के कर कमलों द्वारा कल उद्घाटित की गई 52वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के द्वितीय दिवस में विज्ञान वार्ताओं ( साइंस टाॅक) के लोकप्रिय सत्रों का आयोजन किया गया।
आज के विज्ञान वार्ता के प्रथम सत्र में आईआईआईटी ,भोपाल के निदेशक प्रो.आशुतोष कुमार सिंह ने बाल वैज्ञानिकों और क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के विद्यार्थियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता की आज के संदर्भ में प्रासंगिकता और इसके संभावित दुष्परिणामों के विषय में विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आने वाले दशकों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता इंसानी जीवन को सरल व सहज बनाने में उपयोगी भूमिका निभाएगी। उन्होने संवाद में विद्यार्थियों को भारत के महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट द्वारा किए गए महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्यों से प्रेरणा लेते हुए भविष्य में देश के नवनिर्माण हेतु शोध व नवाचार की दिशा में कार्य करने पर बल दिया।

इसी कड़ी के द्वितीय सत्र में चेयरमैन एआईएसइसीटी, भोपाल श्री संतोष चौबे ने सी.वी.रमन जी के प्रेरक संदेश “देश का भविष्य विद्यार्थियों के मन और मष्तिष्क में निहित है।” का अनुकरण करने हेतु विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि ए आई को मानवीय दृष्टिकोण के साथ एकीकृत करते हुए हम कृषि,स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्र में बदलाव ला पाएंगे। अंत में उन्होंने विज्ञान व तकनीकी के उद्भव से लेकर वर्तमान में हो रहे नवाचारों पर प्रकाश डालते हुए भारतीय भाषाओं के माध्यम से श्रृव्य-दृश्य साधनों और साहित्य लेखन से विज्ञान के विकास और प्रचार प्रसार की महत्त्व को रेखांकित किया। विज्ञान वार्ता के अंतिम सत्र में क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र के निदेशक साकेत सिंह कौरव ने सभी बाल वैज्ञानिकों को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की शैशवावस्था से लेकर वर्तमान के सफलतम चन्द्रयान-3 अंतरिक्ष अभियान की ऐतिहासिक उपलबधियों का विस्तृत वर्णन किया और इस क्षेत्र में विद्यार्थियों को शोध करने व उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। सायंकाल की सांस्कृतिक संध्या में आज क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के विद्यार्थियों ने गीतमाला में शास्त्रीय व पारंपरिक तथा देशभक्ति गीतों की प्रस्तुतियों ने उपस्थित बाल वैज्ञानिकों, शिक्षकों व अतिथियों का मन मोहा। डाॅ.मधुसूदन पीवी के निर्देशन में संस्थान के विद्यार्थियों ने केरल के अष्टपदीयाट्टम (जयदेव के गीत गोविंदम् पर) भगवान विष्णु के दशावतारों का नृत्य-नाट्य प्रस्तुत किया। सत्र का संयोजन डाॅ. अरुणाभ सौरभ व डाॅ.शिवालिका सरकार ने किया।
उक्त रिपोर्ट संकलन एनसीईआरटी के सहायक आचार्य डाॅ. पुनीत शर्मा एवं डाॅ.कुलवीर सिंह चौहान द्वारा किया गया।



