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चार दिन फ्रिजर में रखवा दो’: मां का शव लेने से बेटे का इनकार, बोला- घर में शादी है…अपशकुन होगा;

भुआल अपनी पत्नी को यादकर बार-बार रोते रहे। वह बोले कि बेटों को पाल पोश कर शोभा ने बड़ा किया। आज वही बेटे उसे अकेला छोड़ दिए। मेरी पत्नी का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाया। उसे मिट्टी में दफना दिया गया। अंदर उसे कीड़े खा जाएंगे, यह कहते हुए वह रोने लगे।

यूपी के गोरखपुर स्थित कैंपियरगंज थानाक्षेत्र के भरोहियां ग्राम पंचायत में मां की मौत के बाद बड़े बेटे ने शव लेने से इनकार कर दिया। बोला, घर में बेटे की शादी है, इस समय लाश आई तो बड़ा अपशकुन होगा। चार दिन फ्रीजर में लाश रखवा दो। शादी के बाद आकर दाह संस्कार करवा दूंगा। वृद्धाश्रम में यह सुनकर बुजुर्ग पिता दहाड़ मारकर रोने लगे। पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए उसकी लाश लेकर जौनपुर से गोरखपुर आए। लेकिन रिश्तेदारों ने मिलकर महिला को एक घाट किनारे दफना दिया। जिसके बाद से ही बुजुर्ग कह रहें हैं कि मेरी पत्नी का अंतिम संस्कार भी ठीक से नहीं हो पाया। उसे सभी लोगों ने मिलकर मिट्टी में दफना दिया। वहां उसे कीड़े खा जाएंगे। यह कहकर वह रोने लगे।

कैंपियरगंज क्षेत्र के भरोहियां ग्राम पंचायत निवासी किराना व्यापारी भुआल गुप्ता का हंसता खेलता परिवार था। उनके परिवार में पत्नी शोभा देवी (65) तीन बेटे संजय, जग्गू , अज्जू व तीन बेटियां थीं। सभी की शादी हो चुकी है। भुआल गुप्ता ने बताया कि एक साल पहले बड़े बेटे संजय ने यह कहकर घर से निकाल दिया कि वह लोग उस पर बोझ हो गए हैं। इसके बाद वह नाराज होकर पत्नी शोभा देवी के साथ घर से राजघाट के पास सुसाइड करने पहुंचे थे। वहां मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। साथ ही अयोध्या जाने पर उन्हें रहने व खाने का ठिकाना मिलने की बात कही। अयोध्या में भी ठिकाना न मिलने पर वह मथुरा पहुंचे। जहां से उन्हें जौनपुर के वृद्धाश्रम का मोबाइल नंबर मिला। नंबर पर कॉल करके बात की। जहां जौनपुर विकास समिति वृद्धाश्रम के रवि कुमार चौबे ने उन्हें शरण दी। वहां पहुंचकर उन्होंने अपने बेटों की करतूत के बारे में बताया था।

रवि कुमार चौबे ने बताया कि भुआल और उनकी पत्नी कॉल करके कभी-कभी अपने छोटे बेटे अज्जू से बातचीत करते थे। बड़ा बेटा संजय किराना की दुकान और मेडिकल स्टोर चलाता है। कैंपियरगंज में आलीशान मकान भी है। वह कभी माता-पिता से बातें नहीं करता था। इसी बीच शोभा देवी के पैर में अचानक लकवा मार दिया। वह चल फिर नहीं पाती थी। संस्था ने प्राइवेट हॉस्पिटल में दवा कराई, इसके बाद उन्हें काफी फायदा मिला। 

शोभा देवी की दोनों किडनी हो गई थी फेल
19 नवंबर को उनकी फिर से तबीयत बिगड़ गई। उनका पैर सूज गया था। संस्था के रवि कुमार चौबे जौनपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया। जहां पर देर रात उनकी मौत हो गई। डॉक्टर ने बताया कि शोभा देवी की दोनों किडनी फेल हो गई थी। गुर्दे में भी इंफेक्शन हो गया था। पत्नी की मौत के बाद भुआल गुप्ता दहाड़ मारकर रोने लगे। इसके बाद संस्था के कार्यकर्ता रवि कुमार चौबे ने उनसे घर का नंबर सूचना देने के लिए मांगा। पहले तो उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद कहा कि पत्नी ने बहुत परेशानी झेली है। घर जाने पर अंतिम संस्कार तो सही ढंग से हो सकेगा। उन्होंने अपने छोटे बेटे का मोबाइल नंबर दिया।

बेटा बोला, फ्रीजर में रखवा दो लाश, शादी के बाद करेंगे दाह संस्कार
रवि कुमार चौबे ने छोटे बेटे के पास कॉल कर मां की मौत की सूचना दी। तब छोटे बेटे ने बोला कि बड़े भइया के बेटे की 23 नवंबर को शादी है। उनसे पूछकर बताता हूं। थोड़ी देर बात कॉल कर छोटे बेटे ने बोला कि भइया बोले हैं कि लाश फ्रीजर में रखवा दें। चार दिन बार दाह संस्कार करा दिया जाएगा। यह सुनकर भुआल गुप्ता नाराज हो गए। वह बोले कि जौनपुर में ही पत्नी का दाह संस्कार कर दूंगा। गोरखपुर वापस नहीं जाउंगा। थोड़ी देर बाद बेटियों का कॉल आया। बेटियों ने बात की। इसके बाद गांव के अन्य लोगों ने भुआल गुप्ता को ढांढस बंधाते हुए उन्हें शव लेकर आने के लिए कहा। इसके बाद रवि चौबे ने एंबुलेंस का इंतजाम कर उसमें शव रखवाया। इसके बाद भुआल गुप्ता के साथ करीब 3 घंटे का सफर कर जौनपुर से गोरखपुर के कैंपियरगंज पहुंचे। वहां पर बड़े बेटे ने घर पर लाश लाने से इनकार कर दिया। गांव के लोग और रिश्तेदारों ने भुआल गुप्ता को समझाकर कैंपियरगंज में घाट के पास मिट्टी में शोभा देवी की लाश दफन करा दी।

मेरी पत्नी का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाया
भुआल अपनी पत्नी को यादकर बार-बार रोते रहे। वह बोले कि बेटों को पाल पोश कर शोभा ने बड़ा किया। आज वही बेटे उसे अकेला छोड़ दिए। मेरी पत्नी का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाया। उसे मिट्टी में दफना दिया गया। अंदर उसे कीड़े खा जाएंगे, यह कहते हुए वह रोने लगे। इस दौरान गांव के लोगों ने उन्हें चुप कराया। पंडित से भी राय ली। जिसके बाद पंडित ने अब आटे का पुतला बनाकर उसका विधि विधान से दाह संस्कार करने के लिए कहा है।
बेटा बोला, पिता लोगों से लेते थे उधारी, नाराजगी पर घर छोड़कर चले गए
संजय का कहना था कि पिता बहुत लोगों से उधारी लेते थे। इसके लेकर उनका विवाद हो गया था। इसके बाद वह घर छोड़कर चले गए थे। मां की मौत की सूचना पर कहा कि बेटी शादी के चलते शव को डिप फ्रिजर में रखने की बात कही थी।

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