खबरमध्य प्रदेश

आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन का स्त्री राग 2025 संपन्न स्त्री परिवार समाज और संस्कृति की आधारशिला: डॉ विकास दवे

दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा स्त्री राग – 2025
(स्त्री मन और सृजन को समर्पित)
का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में नारी केंद्रित छः एकल नाटकों का मंचन एवं डॉ मीनू पांडेय नयन की पुस्तक वक्त ठहर जाता या तुम का विमोचन संपन्न हुआ। लघु कहानी के विजेता प्रतिभागियों को आरिणी अन्वीक्षित कथा सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता – डॉ विकास दवे, निदेशक, साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश, भोपाल ने की और मुख्य अतिथि थीं श्रीमती करुणा राजुरकर,निदेशक , दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, भोपाल एवं
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं सिंधु धौलपुरे, संस्थापक एवं निदेशक, पीपुल्स थिएटर ग्रुप, भोपाल। कार्यक्रम का सरस संचालन सत्य देव सोनी सत्य ने किया। सरस्वती वंदना सुसंस्कृति सिंह ने प्रस्तुत की एवं आभार मृदुल त्यागी ने व्यक्त किया। पुस्तक की समीक्षा – प्रेक्षा सक्सेना द्वारा प्रस्तुत की गयी।

कार्यक्रम आयोजक डॉ मीनू पांडेय नयन, अध्यक्ष, आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन ने बताया कि जुलाई में पौराणिक कथाओं पर आधारित सशक्त एवं विदुषी महिला व्यक्तित्व पर आधारित लघु कहानियाँ आमंत्रित कीं गयीं थीं। निर्णायक मंडल द्वारा चयनित तीन लघु कहानी के रचनाकारों को आरिणी अन्वीक्षित कथा सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया। ये रचनाकार हैं हरिद्वार, उत्तराखंड से पधारीं डाॅ मेनका त्रिपाठी, जिनकी कहानी ‘अनसूया का वरदान’ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। भोपाल की श्रीमती निरुपमा खरे की लघु कहानी ‘शबरी:एक अनथक प्रतीक्षा’ ने द्वितीय स्थान एवं देवास के
सचिन सिंह परिहार की लघु-कहानी ‘अम्बा की ज्वाला’ ने तृतीय स्थान प्राप्त किया था।

एकल नाट्य प्रस्तुतियाँ इस प्रकार रहीं: डाॅ रंजना शर्मा द्वारा ‘डिप्रेशन’, श्रीमती सुधा दुबे द्वारा
‘गढ़ मंडला की रानी’, डॉ साधना शुक्ला द्वारा ‘आदि अनादि अनंत’,
सुषमा पटेल द्वारा ‘साबित्री बाई फुले’, नमिता सेन गुप्ता द्वारा ‘प्रीति लता वद्दार’ एवं मंजू गुप्ता द्वारा अभिनीत ‘रानी लक्ष्मी बाई’ नाटकों का मंचन किया गया।

कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ विकास दवे ने कहा कि स्त्री न केवल परिवार, समाज और संस्कृति की आधारशिला है, बल्कि परिवर्तन की सबसे सशक्त शक्ति भी है।
राग सहयोग और समन्वय का प्रतीक होता है और स्त्री का राग जीवन को संगीतमय एवं इंदधनुषी बनाता है।

मुख्य अतिथि श्रीमती करुणा राजुरकर ने कहा कि स्त्री केवल परिवार में माँ और गृहणी की भूमिका तक सीमित नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण सरकारी दायित्वों में भी वह समान रूप से सशक्त और प्रभावी भूमिका निभाती है। उन्होंने अपने कार्यकाल के अनुभव साझा करते हुए बताया कि हर क्षेत्र में निष्पक्षता, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी ही सर्वोच्च मूल्य हैं, और इन्हीं गुणों के साथ आगे बढ़कर स्त्रियों को नेतृत्व की अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि सिंधु धौलपुरे ने कहा कि स्त्री की आर्थिक रूप से सशक्तता बहुत आवश्यक ह।हर स्त्री को ऐसा कार्य करना चाहिए कि जिस सहायता कार्य से उनको हमेशा याद रखा जाये।

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