माह का प्रादर्श’ श्रृंखला के अंतर्गत भील जनजाति के प्राचीन फूँक वाद्य “बहंडी” (वाहड़ी)का प्रदर्शन प्रारंभ।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आज ‘माह का प्रादर्श’ श्रृंखला के अंतर्गत भील जनजाति के दुर्लभ और प्राचीन फूँक वाद्य “बहंडी” के प्रदर्शन का शुभारंभ किया गया।


उद्घाटन समारोह का आयोजन आज दिनांक 14/11/2025 को शाम 4:00 बजे किया गया।समारोह के मुख्य अतिथि श्री पीयूष जैन, प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त, केरल (कोच्चि) ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम का उद्घाटन द्वीप प्रज्वलन कर किया।
उन्होंने कहा कि— “बहंडी जैसे पारंपरिक वाद्य न केवल संगीत की धरोहर हैं, बल्कि इनमें पीढ़ियों की स्मृतियाँ, समुदाय की पहचान और प्रकृति के साथ उनका सामंजस्य भी संरक्षित होता है। संग्रहालय द्वारा ऐसे प्रादर्शों को सामने लाना अत्यंत प्रशंसनीय पहल है, जो युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ता है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे ने कहा— हमारे ‘माह का प्रादर्श’ कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की विविध जनजातीय कलाओं और परंपराओं को प्रत्येक माह एक नए दृष्टिकोण से सामने लाना है। ‘बहंडी’ भील समुदाय की संगीत परंपरा का जीवंत प्रतीक है, जो आज भी लोक अनुष्ठानों, पर्व-त्योहारों और सामुदायिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”
प्रदर्शित प्रादर्श ‘बहंडी’ भील जनजाति का पारंपरिक फूँक वाद्य है, जिसे विशेष रूप से सामाजिक उत्सवों, शिकार परंपराओं, अनुष्ठानिक अवसरों और सामुदायिक गतिविधियों में प्रयोग किया जाता रहा है। स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों से निर्मित यह वाद्य जनजातीय संगीत के सौंदर्य, ताल-लय और प्रकृति-आधारित जीवन दर्शन को दर्शाता है।
इस महत्वपूर्ण आयोजन का सफल संयोजन संग्रहालय के म्यूजियम एसोसिएट डॉ. मोहन लाल गोयल द्वारा किया गया, जिन्होंने बहंडी के सांस्कृतिक एवं कलात्मक महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसके प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की।
संग्रहालय के जन संपर्क अधिकारी हेमंत बहादुर सिंह परिहार ने बताया इस प्रकार प्रादर्श का प्रदर्शन ,भारतीय जनजातीय संगीत परंपराओं, उनकी तकनीकी विशिष्टताओं और सांस्कृतिक गहनता को समझने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
अंत में, उपस्थित अतिथियों एवं दर्शकों ने “बहंडी” के प्रदर्शन का अवलोकन किया और संग्रहालय की इस पहल की सराहना की, जो जनजातीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में एक और प्रभावी कदम है।इस अवसर पर संग्रहालय के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी और बड़ी संख्या में स्कूल के छात्र उपस्थित रहे।



