आचार्य श्री विनम्र सागरजी के ६२ वें अवतरण दिवस पर दिखी भारत की अनेकता में एकता की झलक
स्वयं में स्वयं की लीन ता ही मोक्ष है-आचार्य विनम्र सागर महाराज
भोपाल। शहर के जैन मंदिरों में संतो के चातुर्मास के दौरान ज्ञान की गंगा बह रही है। संतों के सानिध्य मे मांगलिक अयोजन हो रहे है नंदीश्वर जिनालय मैं आचार्य विनम्र सागर महराज का ६२ वा अवतरण दिवस मनाया गया अष्ट द्रव्य से आचार्या श्री की वदना की गई सामाजिक प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया विभिन्न मंदिर समितियां के महिला मंडल युवा मंडल बालिका मंडल और पाठशाला परिवार के सदस्यों ने भारत के विभिन्न राज्यों की वेशभूषा संस्कृति के साथ भक्ति करते हुए आचार्य वंदना की प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए हुए श्रद्धालुओं ने करतल धवनी के साथ आचार्य श्री के संघ सहित संयम पद की अनुमोदना की इस मौके पर अनेक लोगों ने स्वयं के कल्याण के लिए छोटे-छोटे संकल्प भी लिए और संयम के पद पर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया ब्रह्मचारिणी शुभि दीदी प्राची दीदी कुशल भैया के निर्देशन में कार्यक्रम हुए संघ के सभी लोगों ने आचार्य विनम्र सागर महाराज ने आशीष वचन में कहा स्वयं में स्वयं का लीन होना ही दीक्षा है मोक्ष मार्ग की और प्रत्नशील होना है संयम भारत की भूमि की सबसे बड़ी संपदा है संयम का पद बड़े पुण्य से प्राप्त होता है इस अवसर पर अद्यक्ष ऐडवोकेट विजय चौधरी प्रमोद चौधरी एडवोकेट पंकज इंजी., डॉ. सर्वज्ञ, राजीव गेहूँ, विवेक चौधरी, मनोज बबलू, निर्मल मुनीम, राकेश सलामतपुर, इंजी. सौरभ जैन, एम.एल. जैन, मनोज जैन मधुर, शीलचंद लचकिया, सुनील पब्लिसर्स, अजय ज्योतिष, राकेश मावा संतोष जैन, टीटू लचकिया, जीतू सिलवानी, पंकज जैन, आलोक जैन, सहित अनेक धर्मावावलंबी मौजूद थे।